________________
लेश्या-कोश
१४७
सरसव, अंविलशाक, जियंतग - इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं ।
*१५ १७ तुलसी आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! कुलसी - कण्ह - दाल- फणेज्जा - अज्जा-चूयणा चोरा-जीरा दमणा मरुया - इंदीवर - सयपुप्फाणं x x x एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेसं जहा वंसाणं ।
- भग० श २१ । व ८ । पृ० ८३६
तुलसी, कृष्ण, दराल, फणेज्जा, अज्जा, चूतणा, चोरा, जीरा, दमणा, मख्या, इंदीवर, शतपुष्प इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्था तथा २६ विकल्प होते हैं ।
*१५*१८ ताल-तमाल आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! ताल-तमाल - तक्कलि-तेत लि-साल-सरला- सारकल्लाणं जावति केयति-कलि-कंदल - चम्मरुक्ख भूयरुक्ख - हिंगुरुक्ख - लवंगरुक्ख पूयफलि- खज्जूरि-नालएरीणं-मूले कन्दे खंधे तयाए साले य एएस पंचसु उद्देसगेसु देवो न उववज्जइ । तिन्निलेस्साओ × × × उवरिल्लेसु ( पवाले पत्ते - पुष्फे - फले- बीए) पंचसु उद्देसगेसु देवो उववज्जइ । चत्तारिलेस्साओ ।
- भग० श २२ । व १ । पृ० ८४०
ताड, तमाल-तक्वलि, तेतलि, साल, देवदार, सारग्गल यावत् केतकी, केला, कंदली, चर्मवृक्ष, गुंदवृक्ष, हिंगुवृक्ष, लवंगवृक्ष, सुपारीवृक्ष, खजूर, नारिकेल—इनके मूल, कंद-स्कंध, त्वचा ( छाल ) शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं । अवशेष – प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं ।
* १५ १६ लीमडा, आम्र आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते! निबंबजंबुकोसंबताल अंकोल्लपीलुसेलुसल्लइमोयइमालुयवउलपलासकरंजपुत्तंजी वगअरिट्ठवहेलगहरियगभल्लाय उं बभरियखीरणिधायइपियालपूइयणिवारग सेण्हयपासिय सीसवअयसिपुण्णा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org