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लेश्या-कोश
गनागरुक्खसी वण्णअसोगाणं- एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ? एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो । - भग० श २२ । २ । पृ० ८८१
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निम्ब, आम्र, जांबू, कोशंब, ताल, अंकोल्ल, पीलु, सेलु, सल्लकी, मोचकी, मालुक, वकुल, पलाश, करंज, पुत्रजीवक, अरिष्ट, बहेड़ा, हरड, भिलामा, उ बेभरिका, क्षीरिणी, धावडी, प्रियाल, पूतिनिम्ब, सेण्हय, पासिय, सीसम, अतसी, नागकेसर, नागवृक्ष, श्रीमणी, अशोक इनके मूल, कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं । अवशेष – प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं ।
१५ २० अगस्तिक आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते! अत्थियतिंदुयबोरकविट्ठअंबाडगमाउलिंग बिल्लआमलगफणसदाडिमआसोत्थर बरवडणग्गोहनंदि रुक्खपिप्पलिसतरिपिलक्खुरुक्खकाउ' बरिय कुच्छ भरिय देवदालितिलगल उयछत्तोह सिरीससत्तिवण्णदहिवण्णलोद्धधवचंदण अज्जुणणीवकुडग कलंबाणं- एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! x x x एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा णेयव्वा जाव बीयं ।
-भग० श २२ । व २ | पृ० ८४१
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अगस्तिक, तिंदुक, बोर, कोठी, अम्बाङग, बीजोएं, बिल्व, आमलक, पनस, दाडिम, अश्वत्थ (पीपल ), उंबर, वड, न्यग्रोध, नन्दिवृक्ष, पीपर, सतर, प्लक्षवृक्ष, काकोदुम्बरी, कस्तुम्भरि देवदालि, तिलक, लकुच, छत्रोध, शिरिष, सप्तपर्ण, दधिपर्ण, लोक, धव, चन्दन, अर्जुन, नीप, कुटज, कदम्ब - इनके मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वचा, शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं । अवशेष — प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं * १५२१ वेंगन आदि वनस्पतिकाय में
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अह भंते! वाइं गणिअल्लइपोंडइ एवं जहा पण्णवणाए गाहाणुसारेण णेयव्वं जाव गंजपाडलावासिअंकोल्लाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा यव्वा जाव बीयं ति निरवसेसं जहा वंसवग्गो ।
- भग० श २२ । व ४ । पृ० ८४२
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