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लेश्या-कोश
१०९ इसके आगे के कथानक में गोशालक ने अपने शरीर से तेजोलेश्या को निकाल कर, फेंककर सर्वानुभूति तथा सुनक्षत्र अणगारों को भस्म कर दिया था। उसके पाठ इसी उद्देशक में सू० १६ तथा १७ में है ।
-भग० श १५ । सू० १६, १७ । पृ० ७२४ '२५ '५ श्रमण निनन्थ की तेजोलेश्या तथा देवताओं की तेजोलेश्या
जे इमे भंते ! अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एए णं कस्स तेउलेस्सं वीईवयंति ? गोयमा ! मासपरियाए समणे निग्गंथे वाणमंतराणं देवाणं तेउलेस्सं वीइवयइ, दुमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरिंदजियाणं भवणवासीणं देवाणं तेउलेम्सं वीइवयइ, एवं एए णं अभिलावेणं तिमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरकुमाराणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, चउमासपरियाए समणे निग्गंथे गहगण-नक्खत्ततारारूवाणं जोइसियाणं देवाणं तेउलेस्सं वीइवयइ, पंचमासपरियाए समणे निग्गंथे चंदिम-सृरियाणं जोइसिंदाणं जोइसराईणं तेउलेस्सं वीइवयइ, छमासपरियाए समणे निग्गंथे सोहम्मीसाणाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीईवयइ, सत्तमासपरियाए समणे निग्गंथे सणंकुमारमाहिंदाणं देवाणं तेउलेस्सं वीइवयइ, अट्ठमासपरियाए समणे निग्गंथे बंभलोगलंतगाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, नवमासपरियाए समणे निग्गंथे महासुक्कसहस्साराणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, दसमासपरियाए समणे निग्गंथे आणयपाणयआरणच्चुयाणं देवाणं तेउलेम्सं वीइवयइ, एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गंथे गेवेज्जगाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, बारसमासपरियाए समणे निग्गंथे अणुत्तरोववइयाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, तेण परं सुक्के सुक्काभिजाए भवित्तातओ पच्छा सिझइ जाव अन्तं करेइ। (तेऊ-पाठांतर तेय )
-भग० श १४ । उ ६ । सू १२ । पृ० ७०७ जो यह श्रमण निनन्थ आर्यत्व अर्थात् पापरहितत्व में विहरता है वह यदि एक मास की दीक्षा की पर्यायवाला हो तो वाणव्यन्तर देवों की तेजोलेश्या. को अतिक्रम करता है ; दो मास की पर्यायवाला असुरेन्द्र बाद भवनपति देवताओं तेजोलेश्या का यहाँ टोकाकार ने "सुखासिकाम" अर्थ किया है।
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