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लेश्या-कोश
१३३ कृष्णलेशी कृष्णपक्षी जीवों की एक वर्गणा है, कृष्णलेशी शुक्लपक्षी जीवों की एक वर्गणा है। इसी प्रकार छओं लेश्याओं में तथा दण्डक के यावत् वैमानिक जीवों तक में जिसके जितनी सेश्या तथा जो पक्षी हो उतनी कृष्णपक्षी-शुक्लपक्षी वर्गणा कहना।
वर्गणा शब्द की भावाभिव्यक्ति अंग्रेजी के Grouping शब्द में पूर्ण रूप से व्यक्त होती है । सामान्यतः समान गुण व जातिवाले समुदाय को वर्गणा कहते हैं ।
'५३ विमन्न जीवों में कितनी लेश्या -०१ नारकियों में
(क) नेरियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! तिन्नि (लेस्साओ पनत्ताओ) तं जहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काऊलेम्सा।
-पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३७-८ (ख) नेरइयाणं तओ लेस्साओ पन्नत्ताओ, तं जहा–कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काऊलेस्सा।
-ठाण० स्था ३ । उ १ । सू ५८ । पृ० ५४५ (ग) ( तेसि णं भंते ! ( नेरइया ) जीवाणं कइ लेस्सा पन्नत्ता ? गोयमा ! तिनि लेस्साओ ( पन्नत्ताओ)।
-जीवा० प्रति १ । सू ३२ । पृ० ११३ नारकी जीवों के तीन लेश्या होती हैं यथा-कृष्ण, नील तथा कापोतलेश्या। '०२ रत्नप्रभा नारकी में
(क) इमीसे गं भंते ! रयणप्पभाएपुढवीए नेरइयाणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा! एगा काऊलेस्सा पन्नत्ता।
-जीवा० प्रति ३ । उ २ । सू ८८ । पृ० १४१
-भग० श १ । उ ५ । सू २२७ । पृ० ४२ रत्नप्रभा पृथ्वी के नारकी के एक कापोतलेश्या होती है।
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