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लेश्या-कोश
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धुम्रप्रभा पृथ्वी के नारकी के दो लेश्या होती हैं, यथा-कृष्णलेश्या, नीललेश्या । उनमें अधिकतर नीललेश्या वाले हैं, कृष्नलेश्या वाले थोड़े हैं ।
-०७ तमप्रभा नारकी में तमाए पुच्छा; गोयमा ! एगा कण्हलेस्सा ।
-जीवा० प्रति ३ । उ २ । सू ८८ । पृ० १४१ तमप्रभा पृथ्वी के नारकी के एक कृष्णलेश्या होती है । .०८ तमतमाप्रभा नारकी में अहे सत्तमाए एगा परम कण्हलेस्सा।
-जीवा० प्रति ३ । उ २ । सू८८ । पृ० १४१
तमतमाप्रभा पृथ्वी के नारकी के एक परम कृष्णलेश्या होती है ।
समुच्चय गाथा एवं सत्तवि पुढवीओ नेयवाओ; णाणत्तं लेसासु । संगहणी गाहाकाऊ य दोसु तइयाए मीसिया नीलिया चउत्थीए । पंचमियाए मीसा कण्हा तत्तो परम कण्हा ॥
-भग० श १ । उ ५ । सू २४४ । पृ० ४४ पहली और दूसरी नारकी में एक कापोतलेश्या, तीसरी में कापोत और नील, चौथी में एक नील, पंचमी में नील और कृष्ण, छट्ठी में एक कृष्ण और सातवीं में एक परम कृष्णलेश्या होती है। .०६ तिर्यश्च में
तिरिक्खजोणियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पन्नत्ताओ, तं जहा–कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा।
-पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३८
तिर्यञ्च में कृष्ण यावत् शुक्ल छओं लेश्या होती है ।
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