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लेश्या-कोश ०४.४३ लेस्साअंतरविहाणे (लेश्या-अन्तरविधान )
-षट ० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगद्दारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा-xx x लेस्साअंतरविहाणे ६ x x x ।
लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्या-अंतरविधान छठा पद है। सम्भवतः इसमें लेश्याओं के अंतर-अंतरकाल का वर्णन किया गया हो। '०४४४ लेस्साकालविहाणे ( लेश्याकालघिधान )
-षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगद्दारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा-- x x x लेस्साकालविहाणे ५xxx।
लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्याकालविधान पाँचवाँ पद है। सम्भवतः इसमें लेश्या की कालस्थिति के नियमों का वर्णन किया गया हो। ०४.४५ लेस्सागइसमोदारो (लेश्यागतिसमवतार)
-षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगदारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा- x x x लेस्सागइसमोदारो १० ।
लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्यागतिसमवतार दसवाँ पद है। इसमें लेश्या के अनुसार जीव की जो गति होती है उसका वर्णन किया गया है-ऐसा सम्भव है। ०४.४६ लेस्सागई ( लेस्सागति )
-पण्ण० प १६ । सू १११६ मूल-से किं तं लेस्सागई ? जण्णं किण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमति, एवं नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प तरूवत्ताए जाव
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