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लेश्या-कोश '१६४ तेजोलेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन
(क) एवं एएणं अभिलावणं xxx तेउलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प x x x जाव भुजो भुज्जो परिणमइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू १२२१ । पृ० २६२ (ख) एवं तेउलेस्सा कण्हलेस्सं नीललेस्सं काऊलेसं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं पप्प xxx जाव भुजो भुज्जो परिणमइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू १२२४ । पृ० २६३ तेजोलेश्या पद्मलेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उसके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप में परिणत होती है।
तेजोलेश्या कृष्ण, नील, कापोत, पद्म और शुक्ललेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उतके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप में परिणत होती है। १६.५ पद्मलेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन
(क) एवं एएणं अभिलावेणं x x x पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू १२२१ । पृ० २६२ ___(ख) एवं पम्हलेम्सा कण्हलेस्सं नीललेस्सं काउलेस्सं तेउलेस्सं सुक्कलेस्सं पप्प जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ? हंता गोयमा ! तं चेव ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू १२२४ । पृ० २६३ पालेश्या शुक्ललेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उसके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप में परिणत होती है।
पद्मलेश्या, कृष्ण, नील, कापोत, तेजो और शुक्ललेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उनके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप में परिणत होती है। १६.६ शुक्ललेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन
से नूणं भंते ! सुक्कलेस्सा कण्हलेस्सं नीललेस्सं काऊलेस्सं तेउलेसं पम्हलेस्सं पप्प जाव भुज्जो २ परिणमइ ? हंता गोयमा ! तं चेव ।
-पण्ण ० प १७ । उ ४ । सू १२२५ । पृ० २६३
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