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लेश्या-कोश
०४.२६ पम्हलेसं ( पक्ष्मलेश्य )
-सम० सम है । सू १६-१७
मूल-बंभलोए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं x x x जे देवा पम्हं x x x पम्हलेसं x x x पम्हुत्तरावडेंसगं x x x विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसिणं देवाणं उक्कोसेणं नव सागरोवमाइ ठिई पण्णत्ता ।
टीका-पक्ष्मादीनि द्वादश xxx विमाननामानि ।
पक्ष्मलेश्य-ब्रह्मलोक कल्प के एक विमान विशेष का नाम ।
ब्रह्मलोक कल्प में कई देवता पक्ष्म आदि १२ विमानों में उत्पन्न होते हैं । इन पक्ष्म आदि १२ विमानों में पक्षमलेश्य नाम का भी एक विमान है। ०७.२७ परमकिण्हलेस्ससहियं ( परमकृष्णलेश्यासहित )
-पण्हा० श्रु १ । अ २ । पृ० ४२ मूल-x x x अलि यवयणं x x x णीयजनणिसेवियं णिस्संसं अपच्चयकारगं परमसाहुगरहणिज्जं परपीलाकारगं परमकिण्हलेस्ससहियं x x x
परमकृणलेश्यासहित-कृष्णलेश्या के उत्कृष्ट स्थानों में परिणमन करने वाला जीव ।
अलीकवचन--मिथ्या भाषण करने को परमकृष्णलेश्यासहित कहा गया है । ०४.२८ परमसुक्कलेस्सा ( परमशुक्ललेश्या )
-पण्हा० श्रु २ -भग० श २५ । उ ६ । प्र ६२
-जीवा० प्रति ३ । उ १ । सू २१५ मूल-(पण्हा०)- xxx गहगणणक्खत्ततारगाणं वा जहा उडुवई, मणिमुत्तसिलप्पवालरत्तरयणागराणं य जहा समुद्दो x x x लेस्सासु य परमसुक्कलेस्सा x x x बंभचेरं चरियव्वं सव्वओ विसुद्धं xxx।
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