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गति
५१ जाति के देव, ८६ प्रकार के युगलिये तथा ३ नारकी (पांचवीं, छट्ठी-सातवीं ) के पर्याप्त । एवं ( १७६ + १४० = ३१६ ) ५१ जाति के देव, ८६ युगलिये, ३ नारकी ( पांचवीं, छट्ठी, सातवीं) के पर्याप्त अपर्याप्त २८० तथा १७९ लड़ीका
एवं ४५६ नीललेशी जीव
आगति नीललेशी में उत्पन्न
३१६ १७६ लड़ीका, ५१ प्रकार के देव, हो तो
८६ युगलिये, ३ नारकी (तीसरी,
चौथी, पांचवीं) के पर्याप्त गति ऊपरवत्, नारकी तीसरी, चौथी,
४५६ पांचवीं कापोतलेशी जीव
गति ऊपरवत् परन्तु नारकी पहली, कापोतलेशी में उत्पन्न
३१६ दूसरी व तीसरी हो तो
गति ऊपरवत् परन्तु नारकी पहली से ४५६ तीसरी तक
आगति गति तेजोलेशी जीव १९०-६४ गति के देव ३४३-१०१ संज्ञी तेजोलेशी में ८६ युगलिये के पर्याप्त मनुष्य, ५ संज्ञी तियंच उत्पन्न हो तो और १५ कर्म भुभिज पंचेन्द्रिय ६४ गति के२
मनुष्य, ५ संज्ञी तिर्यच देव के पर्याप्त अपर्याप्त व पंचेन्द्रिय के पर्याप्त-अपर्याप्त पृथ्वी-अप वनस्पतिकाय एवं १९०
के अपर्याप्त एवं ३४३ १. ५१ जाति के देव, १० भवनपति, १५ परमाधामी, १६ वाणव्यंतर १० तिर्यक
जृम्भक एवं ५१ ८६ युगलिये--३० अकर्मभूमिज व ५६ अंतीपज, एवं ८६
. २. ६४ जाति के देव, १० भवनपति, १५ परमाधामी, १६ वाणव्यंतर, १० तिर्यक
जूम्भक, १० ज्योतिषी, सौधर्म-ईशान देव; १ किल्विषी, एवं ६४ जाति के देव
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