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लेश्या-कोश
लेस-(१) कण ।
(२) नकली, बहाना, चालाकी । दूसरे अर्थ में Vin : II : 169 में 'लेस' के दस भेद बताये गये हैं, यथाजाति, नाम, गोत्र, लिंग, आपत्ति, पत्र, चीवर, उपाध्याय, आचार्य, सेनासन ।
( देखो पाली अंग्रेजी कोश-सम्पादक रिस डैभिडस् ---यकार खण्ड-पन्ना ४४-प्रकाशक पाली टेक्स्ट सोसाइटी )।
( देखो कन्साइज पाली अंग्रेजी कोश-बुद्धदत्त महाथेरा-प्रकाशक---यु० चन्द्रदास डी सिल्भा सन् १९४६-कोलम्बो )।
लेस शब्द का अर्थ लेस्सा शब्द से नहीं मिलता है ।
'०१३ संस्कृत लेश्या' शब्द की व्युत्पत्ति
लिश् धातु में यत् +टाप् प्रत्यय से लेव्या शब्द की व्युत्पत्ति बनती है । (क) लिश् धातु से दो रूप बनते हैं--(१) लिशति, (२) लिश्यति ।
लिशति - जाना, सरकना।
लिश्यति = छोटा होना, कमना । लेश्या शब्द का ज्योति अर्थ भी मिलता है लेकिन यह दोनों धातु के अर्थों से मेल नहीं खाता।
--देखो आप्ते संस्कृत अंग्रेजी छात्र कोश पृ० ४८३ (ख) लिश् = फाड़ना, तोड़ना ; विलिशा= टूटा हुआ।
देखो संस्कृत अंग्रेजी कोश-सम्पादक, आर्थर अन्थोनी मैक्डोनल्ड, प्रकाशक -ओक्स्फोर्ड विश्वविद्यालय, सन १९२४ । इस कोश में लेश्या शब्द नहीं है। (ग) लिश् ( रिश् का पिछला रूप ) लिश्यते = छोटा होना, कमना ।
लिशति = जागा, सरकना। लेश = कण । देखो संस्कृत-अंग्रेजी कोष-सर मोनियर मोनियर विलियम-प्रकाशक मोतीलाल बनारसीदास सन् १९६३ ।
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