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अर्थात् श्रमणोपासक महाशतक को शुभ अध्यवसाय, शुभ परिणाम व लेश्या विशद्धि व तदावरणीय कर्म के क्षयोपशम से अवधि ज्ञान हुआ ।
- महाशतक के रेवती प्रमुख तेरह पत्नियां थी। महाशतक श्रावक की पत्नी रेवती असमाधि अवस्था में व कापोत लेश्या में मरण प्राप्त कर रत्नप्रभा नारकी में उत्पन्न हुई।
प्रदेशी राजा श्वेताम्धिका नगरी का वासी था। उसकी पत्नी का नाम सूरीकन्ता था। प्रदेशी राजा बड़ा निष्ठुर था। केशीक मार मुनि के सम्पर्क से श्रमणोपासक बना। __ शोधादर्श-फरवरी १९८७ में वर्धमान जीवन कोश, द्वितीय खण्ड की समीक्षा इस प्रकार की है
जैन आगम विषय कोश ग्रन्थमाला के चतुर्थ पुष्प रूप में प्रकाशित वर्धमानजीवन-कोश के इस द्वितीय खण्ड में भगवान महावीर के ३३ पूर्व भवों का विवरण है। इसके अतिरिक्त, भगवान के पांचों कल्याणकों, नाम-उपनामों, स्तवनों, समवसरण, दिव्य ध्वनि, संघ तथा इन्द्रभूति आदि ११ गणधरों का परिचय संकलित हैं। ये तथ्य श्वेताम्बर एवं दिगम्बर, उभय सम्प्रदाय के प्राचीन प्रामाणिक शास्त्रों के ससंदर्भ उद्धृत किये गये हैं। इससे उक्त विषयों का तुलनात्मक अध्ययन भी सुगम हो जाता है। विषय-विभाजन एवं संकलन अन्तर्राष्ट्रीय दशमलव पद्धति पर किया गया है । इस कोश का प्रथम खण्ड १९८० में प्रकाशित हुआ, जिसमें भगवान वर्धमान का गर्भावतरण से लेकर निर्वाण पर्यन्त का जीवनवृत्त संकलित था। अतः इस द्वितीय खडगत अनेक विषय प्रथम खंड के संकलित विषयों के परिपूरक भी हो गये हैं। ऐसे श्रमसाध्य एवं समय सापेक्ष सन्दर्भ ग्रन्थ के निर्माण एवं सुचार सम्पादन के लिए समर्पित विद्वान सम्पादक अभिनन्दनीय है। प्रकाशन जैन दर्शन समिति भी धन्यवाद की पात्र है। विशेषाध्ययन के इच्छुक तथा शोधकर्ताओं के लिए अतीव उपयोगी प्रकाशन है। प्रारम्भ में प्रकाशकीय वक्तव्य, सम्पादकीय प्रस्तावना, डा. ज्योति प्रसाद जैन का अंग्रेजी प्राक्कशन ( सानुवाद ) दशमलव पद्धति का परिचय, विषयानुक्रमणिका है और अन्त में संकेत सूची तथा प्रयुक्त ग्रन्थों की सूची आदि है।"
लेश्या और क्रिया का भी अविनाभाव सम्बन्ध है। सलेशी जीव सक्रिय होता है। क्रिया कोश में इस प्रकार विवेचन है
KRIYA ( Actions of Soul-Corporeal, verbal and mental ) is an important factor in Karmic theory of Jainism and mostly relates to
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