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विषय
'७ व्याख्या-उपसंहार रौद्र ध्यान '८ आर्तध्यान '६ धर्मध्यान १० शुक्लध्यान '६६ लेश्या और मरण '६७ लेश्या परिणामों को समझाने के लिये दृष्टान्त '१ जम्बू खादक दृष्टान्त '२ ग्रामघातक दृष्टान्त '१८ जनेतर ग्रन्थों में लेश्या के समतुल्य वर्णन "१ महाभारत में
'२ अंगुत्तरनिकाय में '६८ २.१ पूरणकाश्यप द्वारा प्रतिपादित ६८.२.२ वगवान् बुद्ध द्वारा प्रतिपादित छः अभिजातियाँ
'३ पातंजल योगदर्शन में '६६ लेश्या सम्बन्धी फुटकर पाठ
.१ लेश्या और भाव '१० लेश्या और सावद्य-निरवद्य '११ द्रव्य लेश्या-अजीव-परिणाम भाव है '२ भिक्षु और लेश्या '३ देवता और उसकी दिव्य लेश्या '४ नारकी और लेश्या परिणाम "५ निक्षिप्त तेजोलेश्या के पुद्गल अचित्त होते हैं .२ तेजोलेश्या और देवों का च्यवन '६ परिहारविशुद्ध चारित्री और लेश्या '७ लेसणाबंध
८ नारकी और देवता की द्रव्य-लेश्या '६ चन्द्र-सूर्य-ग्रह-नक्षत्र-तारा की लेश्याएं '१० गर्भ में मरनेवाले जीव की गति में लेश्या का योग .१ नरकगति में '२ देवगति में .११ लेश्या में विचरण करता हुआ जीव और जीवात्मा । '१२ ( सलेशी ) रूपी जीव का अरूपत्व में तथा ( अलेशी )
अरूपी जीव का रूपत्व में विकुर्वण
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