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68 / जैन समाज का वृहद् इतिहास
है। दूसरे खंड में जीवन दर्शन एवं गृहस्थाश्रम के परिवार का परिचय है। तीसरे खंड में दीक्षा गुरु का परिचय, सघ का परिचय आदि है। चतुर्थ खंड में प्राचीन एवं अर्वाचीन आर्यिकाओं का परिचय दिया गया है। पंचम खंड जैन दर्शन एवं सिद्धान्त पर आधारित है। ग्रंथ का प्रकाशन वर्ष 1983 है।
श्री सुनहरीलाल जैन अभिनन्दन ग्रंथ
श्री सुनहरीलाल जैन अभिनन्दन ग्रंथ एक समाजसेवी की सेवाओं का अभिनंदन है। सुनहरीलाल जैन आगरा नगर के सर्वमान्य जैन रत्न थे। जिनको महासभा, महासमिति, तीर्थक्षेत्र कमेटी आदि सभी में उचित स्थान मिला हुआ था। वे समाज सेवी, शिक्षा सेवी, उदार दानवीर, प्रतिष्ठित व्यवसायी, देव शास्त्र गुरु के सच्चे उपासक, जिनवाणी के परम भक्त, धर्मवीर, धर्म दिवाकर जाति भूषण आदि उपाधियों से विभूषित थे। उनकी लगभग 50 वर्षों तक विभिन्न क्षेत्रों में की गई निस्वार्थ तथा समर्पित सेवाओं के कृतज्ञता स्वरूप 30 मार्च सन् 1983 को यह अभिनन्दन सिद्धक्षेत्र सोनागिर में भट्टारक चारुकीर्ति जी मूडबिद्री द्वारा भेंट किया गया था। ग्रंथ का संपादन डॉ. लालबहादुर जैन, आचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन, पं. बलभद्र जैन, मधनोर के रायजादा डॉ. श्रेयांस कुमार जैन ने किया है। प्रकाशन मंत्री श्री सुनहरीलाल जैन अभिनंदन समारोह समिति है।
आर्यिका श्री इन्दुमती अभिनन्दन ग्रंथ
आर्यिका इन्दुमती माताजी ने आसाम एवं बंगाल प्रदेश में पर्याप्त समय तक विहार किया और समाज को धार्मिक संस्कारों से युक्त बनाने में बहुत योग दिया। सन् 1983 में जब वे सम्मेद शिखर जी थीं तब अभिनन्दन ग्रंथ का प्रकाशन करवाया गया और उन्हें भेंट किया गया। इस अभिनन्दन ग्रंथ के सम्पादक डॉ. चेतन प्रकाश पाटनी, जोधपुर तथा प्रबन्ध सम्पादक श्री डूंगरमल सबलावत, डेह है। श्री सबलावत ने ग्रंथ को सुन्दर एवं उपयोगी बनाने के लिये बहुत परिश्रम किया है। प्रथम खण्ड में आशीर्वचन, अभिवादन, संस्मरण एवं काव्यांजलि दी गई है। दूसरे खण्ड में चित्रमाला है। तृतीय में जीवनवृत्त एवं चतुर्थ खण्ड में लेखों का संग्रह है। पांचवें खण्ड में मिले-जुले लेख है। आर्यिका इन्दुमती माताजी की सबसे बड़ी देन आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी जैसी विदुषी आर्यिका तैयार करना है। अभिनन्दन ग्रंथ का प्रकाशन दि. जैन महासभा, आर्यिका इन्दुमती अभिनन्दन समिति कलकत्ता एवं शांति वीर जैन सिद्धान्त संरक्षिणी सभा श्री महावीर जी ने मिलकर किया है। अभिनन्दन ग्रंथ का मूल्य 50/- रुपये रखा गया है। किसी आर्थिका के अभिनन्दन में प्रकाशित होने वाला यह प्रथम ग्रंथ हैं।
पं. सत्यन्धर कुमार सेठी अभिनन्दन ग्रंथ
समर्पित जीवन शीर्षक से प्रकाशित पे सत्यन्धर कुमार जी सेठी का अभिनन्दन ग्रंथ उनकी सेवाओं की स्वीकृति के रूप में एक खुला दस्तावेज है। इस अभिनन्दन ग्रंथ को सेठी जी के निवास स्थान उज्जैन