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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /421
आपके एक मात्र पुत्र नेमिचंद का जन्म 1997 में हुआ । बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की । संवत् 2017 में श्रीमती विनोद देवी से विवाह हुआ । जिनसे आपको दो पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । संगीता एवं राजेश्वरी बी.ए हैं तथा दोनों का विगह हो चुका है । राजेश के बंबई में कपड़े का व्यवसाय है।
पता - सुगनचंद किशनलाल पहाड़िया
कपड़ा बाजार,कुचामन सिटी (नागौर राज) श्री खींवराज पांड्या
लाडनूं के श्री खींवराज पांच्या वयोवृद्ध समाजसेवी हैं । वे लाडनूं नगरपालिका के 25 वर्ष तक सदस्य रहे थे । चन्द्रसागर स्मारक ट्रस्ट के टुस्टी हैं । सत्यनारायण मंदिर के ट्रस्टी हैं।
आऊ संवत् ल गने पिताजी श्री मांगीलाल जी पाटनी का सन् 1973 में स्वर्गवास हुआ। मानाजो छगना देवी का अभी तक आशीर्वाद प्राप्त है । संवत् 1997 में आपका जीवन देवी के साथ विवाह हुआ। आपको एक पत्र नीरेन्द्र एवं 5 पुत्रियों के पिता बनने का मौभाग्य प्राप्त हो चुका है।
आप
आपने लाइन सजानगढ़ एवं अन्य स्थानों पर आयोजित पंचकल्याणकों में रुचिपर्वक भाग लिया। अनेक प्रतिमायें इन प्रतिष्ठाओं में प्रतिष्ठित हैं । पहावीर हीरोज के 7 वर्ष तक अध्यक्ष रहे । लाडन व्यापार मंडल एवं लाडनं मचेंन्टस के सेक्रेटरी रह चुके हैं। मांगीलाल जी अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति रहे । वे कुशल व्यवसायी तथा सेठ के नाम से प्रसिद्ध हैं। आपने वीरागर जी,शिवसागर जी महाराज के चातुर्मास कराये । मुनि चन्द्रसागर जी महाराज के अनन्य भक्त थे तथा चन्द्रसागर स्मारक टुस्ट में पूर्ण सहयोग दिया।
श्री गणपतराय सबलावत
डेह निवासी श्री मेघराज जी सबलावत के सुपुत्र श्री गणपतराय सबलावत का जन्म पोष बुदी ५ संवत् 1989 को हुआ। सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप डीभापुर एवं दिल्ली में पोटा पार्टस का कार्य करने लगे । सन 111260 में आपका विवाह उमराव देवों के साथ हुआ जिनसे आपको तीन पुत्र धर्मचंद,विनोद कुमार एवं पारसमल तथा दो पुत्रियां पुष्पा एवं उषा के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दोनों पुत्रियों का विवाह हो चुका है।
आपने सभी तीर्थ यात्रायें कर ली हैं। आपकी पत्नी के 2A) वर्षों से शुद्ध खानपान का नियम है। आपकी प्रारंभ में साधारण आर्थिक स्थिति रही। किन्तु बाद में स्वतंत्र व्यापार किया । मोटर पार्टस का कार्य करने लगे और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाया । अब आपके नीन पुत्र व्यापार संभालते हैं। .
आप विगत 15-110 वर्षों से डेह में रह रहे हैं । आपका पूर्णत: धार्मिक जीवन है । प्रतिदिन पूजा अभिषेक करते हैं। आप दोनों पति-पत्नी ने दशलक्षण द्रत के उपवास कर लिये हैं । कटर मुनिभक्त हैं ! जो भी मुनि संघ डेह में आते हैं उनकी आहार आदि से खूब सेवा करते हैं। आपको आचार्य धर्मसागर जी,आ.विमलसागर जी,आचार्य श्रेयान्स सागर जी में भी विशेष भक्ति रही है। देह में आप भगवान शांतिनाथ की वेदी में ही पूजा पाठ करते हैं। उनमें आपकी अनन्य भक्ति है।