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महाराष्ट्र एवं दक्षिण का जैन समाज /635
दोशी तो भा. तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी पुत्रवधू डा. श्रीमती सरयू दोशी चित्रकला क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की विदुषी हैं । वे कला के क्षेत्र में साहित्य की खूब सेवा कर रही हैं। इसी तरह बहिन सरयू दफ्तरी का सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय स्थान है । स्व. पं. तेजपाल जी काला के सुपुत्र पं. भरतकुमार जी काला भी बम्बई के एक उप नगर में रहते हैं लेकिन सामाजिक गतिविधियों में वे सबसे आगे रहते हैं। बंगलौर :
दक्षिण भारत का सबसे सुन्दर नगर एवं चालीस लाख से ऊपर आबादी वाला बंगलौर एक विशाल एवं सुन्दरतम नगर है । जैन समाज उसमे भी अपना विशिष्ट स्थान रखता है । मारवाड़ी जैन समाज के 50 परिवार रहते हैं लेकिन मूल कन्नड़ जैन समाज के 2000 परिवार हैं । दो दि. जैन मंदिर हैं जिनमें एक सोनगढ़ वालों का है। नया मंदिर बहुत विशाल बना हुआ है । पुराना दिगम्बर मंदिर भी अच्छा है प्राचीन प्रतिमाओं से युक्त हैं । श्रवणबेलगोला यहां में ज्यादा दूर नहीं है । वहाँ के भट्टारक चारूकीर्ति जी महाराज का यहाँ गेस्ट हाऊस भी बना हुआ है । भट्टारक जी महाराज इसी में ठहरते हैं । श्वेताम्बर समाज के 150(A) परिवार हैं जो अपने आप में एक रिकार्ड है।
बंगलौर से ही श्रवणबेलगोला, मूडविद्रों, वेणूर, कारकाल एवं धर्मस्थल की यात्रा की जा सकती हैं । इन तीर्थों में मूडविट्री एवं कारकल में जैन समाज के परिवार अच्छी संख्या में रहते हैं। सेलम :
सेलम बंगलौर से सीधा जाया जा सकता है । सेलम व्यापारिक मंडी है । यहाँ ओसवाल समाज के 500 घर, पोरवाल समाज के 30 घर और इतने ही गुजराती समाज के हैं। दिगम्बर जैनों के केवल 15 घर हैं। एक दिगम्बर मंदिर है. एक स्थानक है तथा तीन श्वेताम्बर मंदिर हैं। लेकिन सभी जैनों में पर्ण सामंजस्य है। सभी उत्सव सब मिल करके मनाते है । श्री रतनचन्द्र जी सहसमल जी पोरवाल समाज के अध्यक्ष हैं । श्री ताराचद जी बगड़ा, सोहनलाल जी कोटारी एवं निर्मलकुमार जो बाकलीवाल दिगम्बर समाज के प्रतिनिधि हैं। मद्रास :
देश के चार बड़े नगरों में मद्रास का नाम आता है । मद्रास में खण्डेलवाल जैन समाज परिवार तो अधिक नहीं है लेकिन उन्होंने अपना अच्छा संगठन बना रखा है। अभी कुण्डीटोप बस्ती में खण्डेलवाल जैन दिगम्बर धर्मशाला भी बनवाली है जिससे ठहरने की बहुत सुविधा हो गयी है । यहाँ के प्रसिद्ध परिवारों में श्रीनिवास जी, राजकुमार जी बड़जात्या, पदमचन्दजी महेन्द्रकुमार जी धाकड़ा, ताराचंद जी पहाड़िया, जयचन्दजी बाकलीवाल का परिवार है।
मद्रास से 1(A) किमी. दूरी पर 24 परिवार तमिल भाषा-भाषी रहते हैं। ओसवाल समाज के यहाँ भी अच्छी संख्या मे परिवार रहते हैं । मद्रास में ही पं. सिंहचन्द जी शास्त्री एवं पं. मल्लिनाथ जी शास्त्री विराजते हैं । स्थानीय जैन समाज भी है लेकिन वास्तविक संख्या का पता नहीं चल सका।