Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 681
________________ 666/ जैन समाज का वृहद् इतिहास अभी पिछले वर्ष अखिल भारतवर्षीय महासभा ने आपको समाज भूषण की उपाधि से विभूषित किया है। आप सालिगराम चुनीलाल बहादुर एण्ड कं.डिबरूगढ़ के मुख्य संचालकों में थे। आपके बड़े प्राता भंवरीलाल जी बाकलीवाल महासभा के अध्यक्ष थे। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री माणकचंद जी 67 वर्ष के हैं। श्रीमती शांतिदेवी धर्मपत्नी हैं। दो पुत्रियों के पिता हैं । दूसरे पुत्र पदमचंद जी 63 वर्ष के हैं। अविवाहित हैं। तीसरे पुत्र मोतीलालजी 60 वर्षीय हैं। बी.कॉम. हैं। चतुर्थ पुत्र भागचंद जी बी.कॉम.एल.एल.बी.एडवोकेट है । एल.एल.बी.में गोहाटी विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। सन् 1954 में शांतिदेवी से आपका विवाह हुआ। भागचंद जी के चार पुत्र बसन्त,पुखराज,अशोक, सुशील एवम् एक पुत्री कल्पना है । आपका परिवार आसाम में कार्य करता है । वहां आपके घर में चैत्यालय है । सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि लेते हैं। हम श्री नेमचंद जी के दीर्घ जीवन की कामना करते हैं। पता :- (1) बाकलीवाल भवन, सुजानगढ़ (2) नेमचंद माणकचंद एण्ड कं, शिवसागर । ब्र. नेमीचन्द बड़जात्या धार्मिक एवं सामाजिक जीवन जीने वाले छ.नेमीचन्द जी बड़जात्या यशस्वी व्यक्ति हैं। आपके पिताश्री दीपचन्द जी बड़जात्या भी ब्रह्मचारी थे जिनका स्वर्गवास लाडनूं में संवत् 2016 में आचार्य शिवसागर जी के सानिध्य में समाधिमरण पूर्वक हुआ था । आपकी माता श्रीमती सोनीबाई का स्वर्गवास संवत् 2002 में श्री महावीर जी में हुआ था । बड़जात्या जी का जन्म संवत् 1966 में बैशाख बुदी 4 के शुभ दिन हुआ । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् संवत् 1983 में श्रीमती मोहनी देवी के साथ आपका विवाह संपन्न हुआ। आपके दो पुत्रों में बड़े पुत्र श्री हुकमचन्द बी.कॉम. हैं। 43 वर्ष के हैं। आपके भी तीन पुत्र एवं एक पुत्री है। दूसरे पुत्र श्री प्रकाशचन्द 40 वर्ष के युवा हैं। बनेपीचन्द जी के 6 पुत्रियाँ हैं जिनके नाम मैनाबाई, सुलोचनाबाई,शरबतीबाई, पदभाबाई,चम्पाबाई एवं सबसे छोटी सुशोलाबाई है । सभी बिवाहित हैं । विशेष- पार्मिक- हस्तिनापुर जम्बूद्वीप पंचकल्याणक में आप सनत्कुमार इन्द्र के पद से सुशोभित हुये तथा गजरथ में इन्द्र का आसन ग्रहण किया । नागौर में संवत् 2006 में श्री आदिनाथ दि. जैन मंदिर में संगमरमर का शिखर एवं वेदी बनवाकर उस पर कलशारोहण का यशस्वी कार्य कर चुके हैं। संवत् 2022 में आचार्य शिवसागर जी महाराज के पास-वती जीवन अपनाने का नियम लिया तथा नागौर में मुनि श्री श्रेयान्ससागर जी महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकर किये । फुलेरा के मंदिर में वेदी बनवाकर शांतिनाथ स्वामी की प्रतिमा विराजमान की । इसी तरह कलकत्ता के बेलगछिया के मानस्तंभ में एक वेदी का निर्माण करवाया।

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