Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 692
________________ यशस्वी समाजसेवी/577 + - मंदिर में मूर्ति विराजमान की थी। आपने अधिकांश तीर्थों की यात्रा संपन्न कर ली है । आपके बड़े भाई अशोककुमार जी बैंक में हैं। पता - बापू नगरजयपुर श्री ब्रजमोहन जैन युवा समाजसेवी श्री बजमोहन जी जैन मूलतः तिजारा (अलवर के रहने वाले हैं। आपका जन्म भी वहीं दिनांक-23-8-36 को हुआ 1 प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और फिर जयपुर से सन् 1963 में बी.ए.किया । आपके पिताजी साहब श्री पूरणमल जी जैन (85 वर्ष) का अभी आशीर्वाद प्राप्त है । माताजी श्रीमती रिखबदेवी का 8 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो गया। सन् 1959 में आपका विवाह श्रीमती प्रकाशदेवी से हो गया। आपका एकमात्र पुत्र विनोद जैन बी ई. (इलैक्ट्रोनिक्स) है । दो पुत्रियां हैं जिनका विवाह हो चुका है। मंजू एमाए., एम.फिल. है तथा मधु एम.ए. है। विगत चार वर्षों से श्री दि.जैन मंदिर बड़ा तेरहपंथीयान के मंत्री हैं । मुनिभक्त है। आहार देते रहते हैं । कामां एवं तिजारा में अष्टान्हिका पर्व का उत्सव करा चुके हैं। आप समाज के कर्मठ कार्यकर्ता हैं। पता : श्री दि. जैन मंदिर बड़ा तेरहपंथीयान,घी वालों का रास्ता, जयपुर । श्री शांतिलाल चूड़ीवाल __ चूड़ीवाल उपनाम से प्रसिद्ध श्री शांतिलाल चूड़ीवाल गदिया गोत्र के श्रेष्ठी हैं । आपका जन्म 11 दिसम्बर सन् 1932 के शुभ दिन हुआ। सन् 1946 में पंजाब से मैट्रिक किया और श्रीमती चांद देवी चूड़ीवाल से आपका विवाह हुआ। आपके पिता श्री चेतनदास जी 85 वर्षीय तथा माताजी 80 को पार कर चुकी हैं। आपके एक पुत्र श्री जीवंधर जैन तथा पुत्री मंजू है । पुत्री का विवाह श्री नरेन्द्रकुमार सरावगी के साथ हो चुका है। चूड़ीदाल जी समाज सेवा में खूब रुचि लेते हैं तथा कितनी ही संस्थाओं से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं । मिलनसार एवं आतिथ्य प्रेमी हैं। पता - पौ17, कलाकार स्ट्रीट,कलकत्ता-7 श्री सरदारमल खण्डाका जयपुर का खण्डाका परिवार धार्मिक एवं मुनिभक्त परिवार है । इस परिवार के मुखिया श्री सरदारमल जी खण्डाका एवं उनके पुत्र श्री नेमप्रकाश पदमप्रकाश देवप्रकाश विजयप्रकाश श्री कुमार एवं सनतकुमार खण्डाका सभी मुनियों की सेवा करने, धार्मिक समारोह आयोजित करने में आगे रहते हैं । आचार्य देशभूषण जी आ.सुबाहुसागर जी, गणधराचार्य श्री कुंथुसागर जी महाराज को संघ सहित जयपुर लाने एवं उनकी सेवा करने में आप अप्रणी रहे हैं। श्री सरदारमल जी खण्डाका को संघपति की उपाधि से विभूषित किया जा चुका है।

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