Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 695
________________ 580/ जैन समाज का वृहद् इतिहास परिवार - श्री सरावगी को चार पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके सभी चारों पुत्र सर्व श्री हजारीमल जी,ललित कुमार,कमलकुमार एवं विमल कुमार आपके साथ ही व्यवसाय में लगे हुये हैं। चारों ही पुत्रों का विवाह हो चुका है। इसी तरह आपकी दोनों पुत्रियां शांतिबाई एवं सुशीला बाई का भी विवाह हो चुका है। विशेष - आप दोनों के ही विगत 50 वर्षों से शुद्ध खानपान का नियम है । जाति प्रथा के कट्टर समर्थक हैं । कट्टर मुविभक्त हैं। सुजानगढ़ में आचार्य शिवसागर जी, आचार्य सन्मतिसागर जी एवं आचार्य धर्मसागर जी महाराज तथा श्री महावीरजी में आचार्य शिवसागर जी महाराज का चातुर्मास करवाकर अतिशय पुण्य के भागी बन चुके हैं। अधिकांश आचार्यों एवं मुनिराजों को आहार देते रहे हैं। हस्तिनापुर पंचकल्याणक में सौधर्म इन्द्र, सोनागिर पंचकल्याणक में कुबेर पद से सुशोभित हो चुके हैं । आहार जी,भिण्डर एवं सुजानगढ़ पंचकल्याणकों के अवसर पर ध्वजारोहण एवं अन्य प्रकार से अपना सहयोग दे चुके हैं। आपके भाई स्व.पनमनन्द जी मरावगी की धर्मपत्नी श्रीमती कमलाबाई जी पिछले 10 वर्षों से सप्तम प्रतिमाधारी का जीवन व्यतीत की सामाजिक क्षेत्र श्री सरावगी जी का पूरा जीवन ही सामाजिक कार्यों के लिये समर्पित है। विगत 10 वर्ष से जैन सिद्धान्त संरक्षिणी सभा के अध्यक्ष हैं ! अ.भा. दि.जैन महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं । सन् 1981 में आपने भगवान बाहुबलि सहस्राब्दी महामस्तकाभिषेक का स्वर्ण कलश लिया तथा वहां धर्मशाला के सामने पार्क का निर्माण करवाया। शांतिवीर नगर श्री महावीर जी में मंदिर का निर्माण करवाकर प्रतिमा विराजमान करने का यशस्वी कार्य किया । हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप में गजदन्त एवं कमरे का निर्माण करवाया। शांतिवीर संस्थान एवं मोरेना विद्यालय के वर्षों से अध्यक्ष हैं । अहिंसा प्रचार समिति कलकत्ता के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में कार्यकारिणी सदस्य हैं। भगवान महावीर परिनिर्वाण महोत्सव को बंगाल समिति के अध्यक्ष थे तथा ज्ञान ज्योति स्थ प्रवर्तन समिति के भो अध्यक्ष रहे थे। सार्वजनिक - सुजानपद में ज्ञानोराम हरकचन्द सरावगी आर्टस एवं कामर्स कॉलेज की बिल्डिंग बनवाकर गय सरकार को कॉलेख संचालन के लिये सौंप दी । सुजानगढ़ में ही पिछले वर्षों से जानीराम सरावगी होमियो हाल का संचालन कर रहे हैं। सभी रोगियों को निःशुल्क दवा दी जानी है । इस संस्थान से प्रतिदिन 400 रोगी लाभ लेते हैं । सुजानगढ़ में ही एक बहुत सुन्दर एन विशाल गेस्ट हाऊस का निर्माण करवा चुके हैं। अन्य विशेषतायें : । श्रीमती नमती देवी म.प. वीरक बन्द सराव श्री सरावगी जी का शान्त सरल एवं नियमित जीवन है। समाज के सभी धार्मिक रूमारोहों में सक्रिय भाग लेते रहते हैं। जिनवाणी के प्रचार को ध्यान में रखकर कितनों ही पुस्तकों का प्रकाशन करवाकर निःशुल्क वितरण करते रहते हैं। आपके जीवन पर मुनि श्री चन्द्रसागर जो महाराज के उपदेशों का पूरा प्रभाव पड़ा है। आपके पिताजी स्व.श्री ज्ञानीराम जी भी दूसरी प्रतिमाधारो थे। पता - बी., कलाकार स्ट्रोट,कलकत्ता -7

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