Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 673
________________ 658: जैन समाज का वृहद इतिहास डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल डा.कस्तृरचन्द कासलीवाल साहित्य मनीषी हैं । विगत 45 वर्षों से अनवरत रूप से आपने अपने जीवन को जिनवाणी के चरणों में समर्पित कर रखा है। प्राचीन पाण्डुलिपियों को खोज शोध से उन्होंने अपना साहित्यिक जीवन प्रारम्भ किया और लगातार 15 वर्ष तक बिना थके राजस्थान के अधिकांश जैन शास्त्र भण्डारों में संग्रहित एक लाख से अधिक पाण्डुलिपियों को देखने का ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न कर लिया। आपको इस कार्य में पं.अनूपचन्द जी न्यायतीर्थ जैसे साहित्य मनीषी का सहयोग मिला । ग्रंथ सूचियों के अब तक पांच भाग प्रकाशित हो चुके हैं । पाण्डुलिपि विज्ञान के क्षेत्र में आपके इस अनूठे प्रयास की हिन्दी के प्रभावक मनीषी महापंडित राहुल सांकृत्यायन, डा. हजारीप्रसाद द्विवेदी, डा. वासुदेव शरण अग्रवाल, डा. माता प्रसाद गुप्ता.डा. सत्येन्द्र डा. समसिह तोमर डा.ए.एन, उपाध्ये.डा. हीरालाल जैन डा.नेमीचन्द शास्त्री जैसे पचासों शीर्षस्थ विद्वानों ने आपके साहित्यिक अवदान की प्रशंसा ही नहीं की किन्त अपनी कृतियों में उसका उल्लेख भी किया। डा.कासलीवाल की उम्र तक 50 से अधिक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं । सन् 1977 में आपके द्वारा श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी की स्थापना की गयी जिसका प्रमुख उद्देश्य हिन्दी जैन कवियों एवं उनकी कृतियों को प्रकाश में लाना है। अब तक अकादमी द्वारा जैन हिन्दी कवियों पर 10 भाग प्रकाशित हो चुके हैं। हिन्दी जैन कवियों पर इतनी अधिक अचर्चित सामग्री को प्रकाश में लाने वाले आप प्रथम विद्वान हैं। इसी तरह सन् 1985 में आपने जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान की स्थापना की जिसका प्रमुख उद्देश्य सामाजिक इतिहास को प्रकाश में लाने का रखा गया । संस्थान की ओर से प्रकाशित "खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद इतिहास" आपकी महान कृति है । “जैन समाज का वृहद इतिहास” पाठकों के सामने है। ___ विगत 34) वर्षों में आप जयपुर, आरा, गयाजी, वाराणसी, नागपुर, अहमदाबाद, उदयपुर, सागर, इन्दौर, उज्जैन, देहली. कोल्हापुर कोटा, बम्बई, जबलपुर, बीकानेर, पाली, शोलापुर,खेकडा, मुजफ्फरनगर, सरधना, बंगलोर कलकत्ता, लाडनू, ब्यावर, आदि नगरों में आयोजित पचास से भी अधिक संगोष्ठियों में भाग ले चुके हैं । जयपुर अजमेरकोटा बिजोलिया में आयोजित मंगोष्ठियों के आप संयोजक रहे थे डा. कासलीवाल बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। अब तक आकाशवाणी जयपुर से आप बीसों बार विभिन्न विषयों पर बोल चुके हैं । उनके अतिरिक्त अब तक आपके 200 से भी अधिक शोध पूर्ण लेख जैन पत्र पत्रिकाओं के अतिरिक्त राजस्थान पत्रिका राष्ट्र टून नवभारत टाइम्स कादम्बिनी,परिषद पत्रिका, सम्मेलन पत्रिका सप्त सिन्धु, इलेस्ट्रेड वीकली आदि में प्रकाशित हो चुके हैं। सम्मानित एवं पुरस्कृत डा. कासलीवाल को सभी स्थानों पर सम्मान होता रहता है किन्तु सन् 1974 में वीर निर्वाण भारती मेरठ द्वारा आचार्य विद्यानन्दजी महाराज के सानिध्य में उप राष्ट्रपति बी डी. जत्ती द्वारा सम्मानित एवं इतिहासरल उपाधि से अलंकृत, निवाई जैन समाज द्वारा एवं ।। वें वर्ष में पदार्पण के अवसर पर महिला जागृति संघ जयपुर द्वारा सम्मानित होना उल्लेखनीय है । भादि जैन विद्वत् परिषद द्वारा -" राजस्थान के जैन संत-व्यक्तित्व एवं कृतित्व" तथा शास्त्री परिषद द्वारा "दौलतराम कासलीवाल,व्यक्तित्व एवं कृतिल" पुस्तक पुरस्कृत हो चुकी है। जन्म एवं परिवार डा.कासलीवाल का जन्म 8 आगस्त, 19210 को सैंथल ग्राम (राज) में हुआ । आपके पिताजी स्व.श्री गैंदीलाल जी प्राम के प्रमुख व्यवसायी थे। पांच वर्ष की आयु में ही आपकी माता का देहान्त हो गया । इसलिए मातृ स्नेह से आप वंचित रहे ।

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