Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 674
________________ यशस्वी समाजसेवी 659 गांव में प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् आपके पिताजी ने आपको एवं आपके छोटे भाई तेहा प्रभुदयाल जी को पण्डित चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ के चरणों में छोड़ दिया। पंडित जी साहब के पास आप 12 वर्ष तक रहे। उनका पितृत्व स्नेह, शुभाशीर्वाद एवं मार्गदर्शन मिला। सन् 1945 में एम. ए. पास करने के पश्चात् तीन वर्ष तक स्थानीय जैन महावीर हायर सैकण्डरी विद्यालय में शिक्षक जीवन व्यतीत किया। इसके पश्चात् आप केन्द्रीय सेवा में चले गये। वहां से सन् 1978 में सेवा निवृत्त हुए । श्री महावीर क्षेत्र के साहित्य शोध विभाग के 30 वर्ष से भी अधिक समय तक निदेशक पद पर रहते हुए खोज और शोध कार्यों में जुटे रहे। आपका भरा पूरा परिवार है। आपकी पत्नी श्रीमती तारादेवी सामाजिक कार्यों में भाग लेती हैं। आपके बड़े भाई चिरंजीलाल जी दौसा जिले के सम्माननीय व्यक्ति थे जिनका अभी 15 जनवरी 92 को हो स्वर्गवास हुआ है। आपके छोटे भाई प्रभुदयाल जी भी अच्छे लेखक एवं वक्ता हैं। आपकी एक मात्र बहिन राणोली रहती हैं आपके दो पुत्र निर्मल नरेन्द्र, दो पुत्र वधुएं तीन पौत्र एवं दो पौत्रियां हैं। आपके तीन पुत्रियां निर्मला राशि व सरोज हैं तीनों का विवाह हो चुका हैं। वे भी सामाजिक कार्यों में भाग लेती हैं। शशि एवं सरोज एम.ए. हैं। . आपके बड़े पुत्र श्री निर्मलकुमार विद्युत बोर्ड में वरिष्ठ लेखाकार हैं। पत्नी का नाम श्रीमती सन्तोषदेवी है जो दो पुत्रों अविनाश एवं आलोक की जननी है। छोटे पुत्र श्री नरेन्द्रकुमार कासलीवाल (38 वर्ष) एम.ए. भी राज्य सेवा में हैं। पत्नी का नाम श्रीमती मैना देती है । दो पुत्रियों निधि एवं नेहा तथा एक पुत्र नमन की माँ हैं। डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल श्रीमती सन्तोष देवी श्रीमती तारा देवी श्री नरेन्द्र कुमार C श्री निर्मल कुमार श्रीमती मैना देवी

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