Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 653
________________ 638/ जैन समाज का वृहद् इतिहास राज श्री चप्पालाल कासलीवाल पांडीचेरी जैन समाज में प्रतिदिनत समाज सेवी श्री चम्पालाल जी कामलीवाल का जन्म 10 फरवरी 1932 को हुआ। अपने ग्राम रीढ़ में आपने मैट्रिक किया । 40 वर्ष पूर्व आपका विवाह हीरालाल जी पाटनी की पुत्री विमलादेवी के साथ हुआ जिनसे आपको एक पुत्र निरंजन कुमार एवं छह पुत्रियों की प्राप्ति हुई। निरंजन कुमार ने पांडीचेरी से बी काम कर लिया है । उसकी पत्नी का नाम श्रीमती मंजू है जो अजमेर के घेवरचन्द जी बाकलीवाल की पुत्री है । पुत्रियों में प्रेमलता, मुत्रीदेवी, शशि, तारा, संतोष, लीना सभी का विवाह हो चुका है। संतोष बी.कॉम.एवं लीना बी.एस.सी. है। कासलीवाल जी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं । पांडीचेरी में आयोजित पंचकल्याणक __ में आपने ध्वजारोहण किया था । हस्तिनापुर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में इन्द्र बनकर पुष्प वर्षा की थी। इन्दौर में आपको जैन वीर की उपाधि से सम्मानित किया गया । अपने प्रामरीढ़ में आँखों का म्प लगाया जिसमें 100 आपरेशन किये गये थे तथा कन्या पाठशाला के लिये कमरा एवं बरामदा निर्माण में आर्थिक सहयोग दिया। आपको धर्मपत्नी के शुद्ध खान-पान का नियम है । अष्टान्हिका के व्रत उपवास कर धुकी हैं । स्वभाव से शान्त,मधुर एवं आतिथ्य प्रिय हैं । श्रीमती विमलादेवी धर्मपत्नी पता : 153, भारती स्ट्रीट, पांडीचेरी। श्री चम्पालाल कासलीवाल ..RRI. श्री चम्पालाल सिरायत ठोलिया गोत्रीय श्री चम्पालाल जी सिरायत के नाम से प्रसिद्ध हैं। पाण्डिचेरी में तथा दक्षिण भारत के जैन समाज में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है । सन 1955 में पाण्डिचेरी आने वालों में आप प्रथम व्यक्ति हैं । आपने ही प्रयास करके यहां अन्य जैन परिवारों को आने में पूर्ण सहयोग दिया । पाण्डीचेरी जैन समाज के आप वर्षों तक अध्यक्ष रहे हैं। वैसे आप मूल निवासी नीमाज के हैं । पाण्डोचेरी महासभा के तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट फण्ड के सदस्य हैं। आपने 72 बसन्त देख लिये हैं। आपके पिताजी आपको 13 वर्ष का छोड़कर स्वर्गवासी बन गये थे। माताजी श्रीमती सुगनीदेवी का सन - 1982 में निधन हुआ है। 15 वर्ष की आयु में आपका विवाह श्रीमती भंवरदेवी के साथ हुआ । जिनसे आपको 8 पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । वर्तमान में आप निवृत्ति परक जीवन यापन कर रहे हैं। आपके आठवें पुत्र श्री गौतम को छोड़कर सभी का विवाह हो चुका है। सबसे बड़े रूपचन्दजी हैं जो 50 वर्षीय हैं । पत्नी का नाम सावित्री है । तीन पुत्रियों के पिता है । दूसरे पुत्र भागचन्दजी 44 वर्ष के हैं। उनकी पत्नी विमला देवी दो पुत्रियों एवं एक पुत्र की मां हैं। तीसरा पुत्र मीठालाल 39 वर्षीय युवा है । पत्नी का नाम सरोज देवी है जो दो पुत्र एवं एक पुत्री की जननी है। चतुर्थ पुत्र श्री राजेन्द्रकुमार दो पुत्र एवं एक पुत्री के पिता हैं। उनकी पत्नी का नाम गुणमाता है । वे तमिलनाडू में रहते हैं। पांचवें

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