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हराए दक्षिण का जैन समाज 641
स्व. काला जी ने ५ बार शिखर जी की वंदना की तथा अन्य अतिशय क्षेत्रों की भी बराबर वंदना करते रहे। आचार्य शांति सागर जी महाराज, वीरसागरजी महाराज एवं आचार्य धर्मसागर जी महाराज का आपको सदैव आशीर्वाद मिलता रहा। आयु के 900 वें वर्ष में दिनांक 28 अक्टूबर 84 को आपको शान्त परिणामों के साथ मरण संपत्र हुआ 1
स्व, तेजपालजी काला
स्व. श्री तेजपाल जी काला कर अत्यन्त साधारण स्थिति के परिवार में जन्म हुआ था। कुशाग्र बुद्धि एवं कर्तव्य तत्परता के कारण वे सभी के प्रिय थे। मैट्रिक परीक्षा तक उनकी पढ़ाई हुई थी। समाजसेवा एवं धर्म सेवा को रुचि होने से वे बाल्यकाल से ही सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में सदैव आगे थे। प. पू. रस्त्र. चा. च. आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के धर्म प्रभावना से प्रभावित हो वे सदैव धर्म सेवा में अपना लक्ष्य देने लगे। नांदगांव (नासिक) की सुप्रसिद्ध धर्मपरायण खंडेलवाल दिगम्बर जैन पंचायत के वे कई वर्षों तक महामंत्री पद पर रहे। इनके कार्यकाल में नांदगांव में भारतीय स्तर पर अनेकों धार्मिक समारोह सम्पन्न हुये। इंद्रध्वज विधान का बहुत बड़ा भारी आयोजन इनके काल में ही आया 1 इस संभाग के निकटतम सभी नगरों मैं इनके कर्तव्य का गुणगान होने लगा। आगमनिष्ठ धर्म प्रसार में आगे रहे।
पैठन अतिशय क्षेत्र पर इन्होंने आगत सभी भारतीय स्तर के विद्वानों की उपस्थिति में श्री भारतवर्षीय शांतिवीर दिगम्बर जैन सिद्धान्त संरक्षिणी सभा का निर्माण किया । इसका एक साप्ताहिक मुख पत्र भी निकाला जिसके वे प्रारंभिक काल से अंत तक संपादक बने रहे।
नांदगांव में स्व.प.पू.गल्लिसागर महाराज के नाम से स्थापित अंथमाला के भी वे अंत तक महामंत्री बने रहे और सुचारू रूप से उसका संपादन करते रहे हैं।
आपका स्वर्गवास 711 वर्ष की आयु में सन् 1982 में हुआ ।
श्री ताराचन्द बगड़ा ( कासलीवाल)
श्रीपती गणी देवी धर्मपली
श्री ताराचन्द जी बगड़ा का दक्षिण भारत जैन समाज में विशिष्ट स्थान है। वे अपने उदार स्वभाव, धार्मिक मनोवृत्ति, साधुओं के प्रति भक्ति एवं सबके काम में आने की अपनी भावना के कारण समाज का मार्गदर्शन करते रहते हैं । आर्यिका विजयमती माताजी को तमिलनाडु, पांडीचेरी, मद्रास, सेलम, कडलूर, पुनर मलैमई में चातुर्मास कराने में विशिष्ट योगदान किया। वर्तमान में आप सेलम समाज के अध्यक्ष हैं ।
ऋषिमंडल विधान, शांतिमंडल वि
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