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6441 जैन समाज का वृहद् इतिहास
श्रीमती संतोष देवी है। दूसरे पुत्र निखिल ने बी.ए. सीकर से किया है । नितेश कुमार 16 वर्ष पढ़ रहा है ।
दो पुत्रियाँ हैं - निशा एवं नीता । दोनों ही पढ़ रही हैं । बाकलीवाल,जी का जीवन सेवाभावी है तथा सभी सामाजिक कार्यों में सहयोग देने की भावना रखते हैं । महासभा के तीर्थ रक्षा सुरक्षा फण्ड के सदस्य हैं । आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी के दक्षिण विहार में आपने पूर्ण सहयोग दिया था । आपकी धर्मपत्नी भी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला है।
पता :- बाकलीवाल ट्रेडिंग कम्पनी, न. 7 पोलिस पैट्रोल रोड़,शिवापेट, सेलम-2 श्री नेमीचन्द कासलीवाल रीढ वाले
___ पाण्डीचेरी निवासी श्री मन्द जी कासलीवा जो सः शुद्ध कि पान्यताओं के अनुसार यापन करते हैं । दोनों पति पत्नी के शुद्ध खानपान का नियम है । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती उगमादेवी तो रात्रि को जल भी विगत 25 वर्षों से नहीं ले रही हैं। आप दशलक्षण व्रत के उपवास कर चुकी हैं तथा व्रत उपवास करती ही रहती हैं। श्री कासलीवाल जो पाण्डीचेरौ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा पहोत्सव में ईशान इन्द्र के पद से अलंकृत हुये थे तथा : सन् 1983 में पुन्नममलाई में इन्द्रध्वज विधान में सौधर्म इन्द्र के पद से सुशोभित हुये हैं।
आपका जन्म संवत् 1984 में मंगसिर महिने में हुआ। अपने ग्राम रीढ (नागौर) में आठवीं कक्षा तक अध्ययन किया । संवत् 1999 में आपका विवाह उगम देवी से हुआ। आप पांडीचेरी के ही चम्पालाल जी सिरायत की बहिन हैं । आपके पिताजी श्री कन्हैयालाल जी का 27 मई सन् 1964 में पंडित नेहरू जी की मृत्यु के एक घण्टे बाद ही स्वर्गवास हो गया । माताजी विरजीदेवी 92 वर्ष की हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त है। आपके चार पत्र एवं तीन पत्रियाँ है। प्रथम पुत्र श्री महावीर कुमार 42 वर्ष इच्छलकरन में व्यवसाय करते हैं। दूसरे पुत्र श्री धरमचन्द 37 वर्षीय युवा हैं। उनकी पत्नी रेणु बी.कॉम है तथा सेलम में व्यवसायरत है। तीसरे पुत्र प्रसन्नकुमार 32 वर्ष के हैं । सी.ए.प्रथम पार्ट पास हैं । पत्नी मधु वी.कॉम. है। दो पुत्रियों की माँ है । चतुर्थ पुत्र सुभाष 25 वर्ष के है बी.कॉम. हैं । तीन पुत्रियों में शान्ता,रोशन एवं कल्पना सभी का विवाह हो चुका है।
श्री कासलीवाल जी पांडीचेरी जैन समाज के वर्तमान में अध्यक्ष हैं लेकिन इसके पूर्व भी आप दो बार अध्यक्ष रह चुके
अपने ग्राम रौढ (नागौर) में ।
पता : • न6, वियंका नगर,पांडीचेरी श्री परमेष्ठिदास जैन
____ आप मूल निवासी देहली के हैं । वहाँ से सन् 1936 में बम्बई गये और फिर वहाँ से भी सन् 1961 में आकर व्यवसाय करने लगे। आपका जन्म 30 अक्टूबर सन् 1920 को हुआ | आपके पिताजी श्री मोल्हडमल आपको एक वर्ष का ही छोड़कर स्वर्गवासी बन गये। माताजी श्रीमती केशरबाई ने आपको पाला । अन्त में वह भी ब्रह्मचारिणी अवस्था में स्वर्गस्थ हो गई । सन् 1931 में आपका विवाह सरस्वती देवी के साथ हुआ ।