Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 666
________________ महाराष्ट्र एवं दक्षिण का जैन समाज/651 श्री विनोद लालचन्द दोशी बम्बई के प्रसिद्ध उद्योगपति दोशी परिवार में 20 मार्च सन् 1932 को जन्मे श्री विनोद दोशी इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपनी प्रतिभा, सूझबूझ एवं व्यापारिक दक्षता के लिये प्रसिद्ध हैं। सन् 1949 में आपने गणित एवं भौतिक शास्त्र में एलबीयन कॉलेज अमेरिका से बी.ए.किया। सन् 1951 में उसो विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में एम.ए किया। सन्1983 में अल्बियन कॉलेज द्वारा "Distinguishedi.ari.s" पदक से आपका सामान किया गया । यह अवार्ड 1630 विद्यार्थियों में से 16 चुने हुए विद्यार्थियों को दिया गया था। देश लौटने के पश्चात् आपने बालचन्द हीराचन्द इन्डस्ट्री लि.के विभित्र शीर्षस्थ पदों पर बड़ी योग्यता एवं सूझबूझ से कार्य किया और अपने व्यवसाय में सफलता पर सफलता प्राप्त की। अपने उद्योग में चीनी, सीमेन्ट,बड़े-बड़े बोइलर्स,अणुशक्ति युक्त मशीनरी आदि के निर्माण को सम्मिलित करके तथा जापान, अमेरिका की व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता में आगे निकलकर ऐशिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका जैसे देशों में अपनी उत्पादन सामामी भेजकर यश और नाम कमाया तथा अपने उद्योग के आठ हजार लेबर एम्पलायोज के संगठन के संचालन में सिद्धहस्त कहलाए। श्री विनोद दोशो देश के यशस्वी उद्योगपति हैं । विश्व के सभी देशों की कितनी ही बार यात्रा कर चुके हैं और प्रीमियर आटोमोबाइल्स,बालचन्द नगर इन्डस्ट्रीज, इंडियन ह्यम पाइप लि. आदि बड़ी-बड़ी कम्पनियों के चेयरमैन, डाइरेक्टर हैं। सामाजिक सेवाओं में भी आपकी रुचि रहती है । आपके पिताजी श्री सेठ लालचन्द दोशी की छाप आपके जीवन में देखी आ सकती है। दक्षिण भारत में आपके परिवार को श्रद्धा,सम्मान एवं प्यार से देखा जाता है । आपके परिवार की ओर से अनेक शैक्षणिक एवं औद्योगिक संस्थाएं संचालित हैं जिनसे समाज पर्याप्त लाभान्वित होता रहता है। आपके पिताजी सेठ लालचन्द जी अ. मा. दि. जैन तीर्थ क्षेत्र के वर्षों तक अध्यक्ष रह चुके हैं। पता : कन्स्ट्रक्शन हाउस,बालचन्द हीराचन्द मार्ग,देलाई एस्टेट, बम्बई-400038 श्री श्रीनिवास जैन बड़जात्या __ श्री बडजात्या जी ने 75 बसन्त पार कर लिये हैं । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् । उन्होंने पिताजी के साथ व्यवसाय में प्रवेश किया और मद्रास में ही वस्त्र व्यवसाय से जुड़ गये। 21 वें वर्ष में उनका विवाह श्रीमती इन्द्रमणि देवी के साथ संपत्र हुआ। उनको 6 पुत्र एवं एक पुत्री का पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके सबसे बड़े पुत्र कंवरीलाल जी 50 वर्ष के हो चुके हैं। उनकी पत्नी का नाम मनफूलदेवी है । दूसरे पुत्र राजकुमार 46 वर्षीय युवा हैं। उनकी पत्नी श्रीमती कमलादेवी के 4 पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं। तृतीय पुत्र श्री पदमचन्द 44 वर्ष के हो चुके हैं। उनकी धर्मपत्नी का नाम संतोषदेवी है । चतुर्थ पुत्र प्रकाशचन्द जी 42 वर्षीय र युवा हैं । उनकी पत्नी संतोषदेवी के दो पुत्र एवं एक पुत्री है । पंचम पुत्र विमल कुमार की पत्नी गुणमाला देवी के चार पुत्र हैं। सबसे छोटा पुत्र अशोक गंगवाल की पत्नी संगीता है । सभी पुत्र पिताजी के साथ व्यवसाय करते है। आपकी एक मात्र पुत्री का विवाह गोहाटी में हो चुका है।

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