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444/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
-पली का नाम शशि है तथा एक पुत्र एवं एक पुत्री के पिता हैं। सबसे छोटे पुत्र गजेन्द्रकुमार जी | 30 वर्षीय युवा हैं । उनकी पत्नी चंदा एक पुत्र एवं एक पुत्री की मां है । सभी पुत्र नागौर समाज में पूर्ण क्रियाशील हैं।
श्री सोहनसिंह जी नागौर एवं पूरे मारवाड़ के अत्यधिक लोकप्रिय समाजसेवी थे। नागौर का सारा जैन समाज आपके निर्देशन में कार्य करता था। कानूगो बैंक आपके पूर्वजों से आया हुआ है। सिंह शब्द का भी सर्वप्रथम आपके पिताजी साहब ने प्रयोग किया था 1 श्री
सोहन सिंह जी का अभी कुछ समय पुर्व ही दुःखद निधन हुआ है। श्रीमती सुशीला देवी धर्मपत्नी पता :- धनसुख विलास, नागौर (राज)
श्री सोहनसिंह
श्री सोहनलाल सौगानी
सुजानगढ़ के श्री सोहनलाल सौगाती समाज के वरिष्ठ समाजसेवी हैं । आपका जन्म माह सुदी 14 सं.1973 को हुआ। आपके पिताजी श्री नथमल जी सौगानी का स्वर्गवास सन् 1978 में 93 वर्ष की आयु में एवं माताजी सुन्दर बाई का उसके एक वर्ष पूर्व 92 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हुआ था। संवत् 1989 में आपका विवाह श्रीमती मोहिनीदेवी के साथ हुआ जिनसे आपको चार पुत्र प्रकाशचंद, विमलकुमार जयकुमार एवं ललितकुमार की प्राप्ति हुई। सभी पुत्रों का विवाह हो चुका है तथा सभी पुत्र -पुत्रियों से अलंकृत हैं।
आप सुजानगढ़ पंचकल्याणक महोत्सव में भावान के माता-पिता बनने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। यहां की नशियां में भगवान शांतिनाथ कुंथुनाथ एवं अरनाथ की प्रतिमायें प्रतिष्ठित करवाकर विराजमान कर चुके हैं । कट्टर मुनिभक्त हैं । आचार्य धर्मसागर जी महाराज के चातुर्मास में आपने बराबर आहार दिया । आप दोनों पति-पत्नी के शुद्ध खानपान का नियम है । तीन बार सभी तीर्थों की वंदना कर चुके हैं।
सौगानी जी सन् 1972-73 एवं 1982-86 तक नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं। कांग्रेस कमेटी सुजानगढ़ के 8 वर्षों तक (1980 तक) अध्यक्ष रहे । श्रीमती इंदिरा गांधी के समर्थन में एक बार जेल भी जा चुके हैं।
पता : सोहनलाल प्रकाशचंद सौगानी, सुजानगढ़ (राज) श्री स्वरूपचंद पांड्या
कुचामन (राज) को वर्तमान जैन समाज की सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में प्रमुख रूप से भाग लेने वाले श्री स्वरूपचंद पांड्या का जन्म 20 सितम्बर सन् 1936 को हुआ। आपके पिताजी चांदमल जी पांड्या का स्वर्गवास 52 वर्ष की आयु में संवत्-1999 में हो गया । वे सेठ चैनसुख गंभौरमल के प्रमुख मुनीम थे। आपकी माताजी श्रीमती विरधीदेवी का अभी आशीर्वाद मिल रहा है । आपने सन् 1952 में अजमेर बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा पास की और फिर कुचामन में ही जनरल पर्चेन्टस् का कार्य करने लगे 121 वर्ष की आयु में आपका विवाह श्रीमती नंदकेशरदेवी के साथ हो गया। आपको 2 पुत्र एवं