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उत्तर प्रदेश का जैन समाज /611
अल्मवरदार/साहित्यिक गोष्ठियों में विशेष लगाब । अचानक 20 नवम्बर 1964 ई. को उर्दू के शायर बने, “सरूर इरफानी" उपनाम रखा। "बादये इरफाँ" के नाम से संग्रह का प्रकाशन ।
17 नवम्बर 1968 ई. को अचानक कैंसर के मर्ज से स्वर्गवास ।
दिगम्बर जैन मन्दिर रामपुर में अष्ट धातु की भगवान महावीर की मूर्ति विराजमान की । बागों में विशेष रुचि, आनन्द बाटिका” आपके द्वारा निर्मित रामपुर की अध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक,संस्कृति का केन्द्र है।
ऊंच-नीच,जाति-पाँति मत-मतान्तर और रुढ़िवादिता को संकीर्ण भावना को दूर कर परस्पर प्रेम का व्यवहार ही आनन्द वाटिका के निर्माता के हृदय की पुकार रही हैं।
पता : जैन मन्दिर स्ट्रीट,रामपुर (उप्र) 244901 श्री उत्तमचन्द छाबड़ा
जयपुर से सैन् 1960 में लखनऊ जाकर व्यवसाय करने वाले श्री उत्तमचन्द छाबड़ा के पिता स्व.श्री भंवरलाल जी छाबड़ा थे जिनका सन् 1959 में जयपुर में ही स्वर्गवास हुआ। आपकी माता (धर्मपत्नी श्री भंवरलाल जो) का अभी आशीर्वाद प्राप्त है।
छाबड़ा जी का जन्म 13 मई सन् 1945 को जयपुर में हुआ। सन् 1962 में हाईस्कूल किया तथा टीवी इलैक्ट्रिकल गुड्स की सआदतगंज में दुकान करने लगे । सन् 1968 में आपका विवाह श्रीमती लक्ष्मीदेवी से हुआ जिनसे आपको दो पुत्रों की प्राप्ति हुई। दोनों पुत्र राजीव एवं अमित पढ़ रहे हैं।
सामाजिक जीवन में रुचि रखते हैं । सरधना अस्पताल में आर्थिक सहयोग दिया है।
पता: सआदतगंज,लखनऊ श्री उम्मेदपल पांड्या
राष्ट्रीय स्तर के व्यक्तित्व के धनी श्री उम्मेदमल जी पांड्या का जन्म 3 नवम्बर सन् 1933 को कुचामन में हुआ।
आपके पिताजी श्री छगनलाल जी पांडया का स्वर्गवास अभी वर्ष पूर्व हुआ जब वे 75 वर्ष के थे तथा माताजी श्रीमती भंवरीदेवी का स्वर्गवास 5-6 वर्ष पूर्व ही हुआ है। कुचामन में मिडिल कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप शांति रोडवेज में पार्टनर के रूप में ट्रांसपोर्ट का कार्य देखने लगे। 17 वर्ष की आयु में सन् 1950 में आपका विवाह कालूराम जी पहाडिया की
सुपुत्री शर्बतीदेवी से संपन्न हुआ। आपकी एकमात्र पुत्री हेमलता अभी पढ़ रही है | श्रीमती शर्थती देवी धर्पपली उम्मेद मल जी पांड्या