________________
614 / जैन समाज का वृहद् इतिहास
पुत्रियाँ एक पुत्र है। जिनमें पांच पुत्रियों, आशा, निशा, अर्चना, जौलू मीनू का विवाह हो चुका है। सीमा एवं नुपर अविवाहित है। पुत्र आलोक अभी अविवाहित है ।
पता- माधोलाल चिरंजीलाल 24 ए नई मंडी, मुजफ्फरनगर
श्री कैलाशचन्द जैन भूच
श्री कैलाशचन्द जी धार्मिक प्रकृति के युवक है। प्रतिदिन पूजा प्रचाल करते हैं। आपके पिताजी श्री नेमीचन्द जी एवं माताजी पांची बाई दोनों का ही स्वर्गवास हो चुका है। श्री कैलाशचन्द जी का सन् 1935 में जन्म हुआ। सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आपका सन् 1955 में श्रीमती सुशीला से विवाह हो गया। आपके 2 पुत्र एवं पांच पुत्रियाँ हैं। बड़े पुत्र श्री प्रवीणकुमार का सीमा से विवाह हो चुका है। आप एम.ए. हैं। छोटा पुत्र अरविन्द बी. ए. है। पांच पुत्रियों में से नीमा व सुदेश का विवाह हो चुका है ।
पत्ता: 1068 जैन गली, घीयामंडी, मथुरा
श्री चन्दाबाबू जैन बाकलीवाल
आगरा का दरीवालों के नाम से प्रसिद्ध बाकलीवाल परिवार एक प्राचीन सम्पन्न, सुसंस्कृत व धार्मिक परिवार के रूप में प्रसिद्ध है। इस परिवार का दरी व्यवसाय अति प्राचीन है तथा आगरा में फर्म मै. रामबक्स संतलाल के नाम से प्रसिद्ध प्रतिष्ठान की स्थापना श्री सन्तलाल जी जैन बाकलीवाल ने सन् 1859 में की थी, जो आज तक इसी नाम से जौहरी बाजार, आगरा में स्थापित है।
बाकलीवाल परिवार के स्व. श्री सन्तलाल जी के
सुपुत्र स्व. श्री श्यामलाल जी, स्व. श्री सुन्दरलाल जी, स्व. श्री
कन्हैयालाल जी ने अपनी माता श्रीमती सदोबाई की आज्ञा से हरी पर्वत, आगरा में श्री शांतिनाथ दि. जैन मंदिर का निर्माण कर मूर्ति प्रतिष्ठा स्थानीय पंचकल्याणक सहित संवत् 1989 में तथा वेदी प्रतिष्ठा वि.स. 1991 (वीर सं. 2460) में संपन्न की। पहिले मंदिर जी के प्रांगण में जैन बोर्डिंग हाउस था किन्तु बाद में एम.डी. जैन हाई स्कूल जो अब इन्टर कालेज है यहाँ आने पर समाज हित को ध्यान में रखते हुये इस परिवार ने मंदिर जी का प्रबन्ध दिगम्बर जैन शिक्षा समिति, आगरा को दे दिया। मंदिर जी में भगवान शांतिनाथ जी की मूर्ति 3 फुट ऊंची बहुत भव्य, आकर्षक व चमत्कार युक्त है ।
धर्मपत्नी श्री चन्दा बाबू जैन
इसी बाकलीवाल परिवार के स्व. श्री सुन्दरलाल जो जैन ने न्यू राजामंडी स्टेशन के निकट देहली गेट पर सन् 1962 में एक अति सुन्दर व सुविधाजनक भव्य धर्मशाला का निर्माण कराया है, जो श्री सुन्दरलाल जैन धर्मशाला के नाम से विख्यात है I