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624/ जैन समाज का वृहद इतिहास
विदेश यात्रा - सन् 1980-91 में आपने पूर्वी यूरोप, अमेरिका आदि की 6 महिने तक विदेश यात्रा की। आप स्वभाव से शान्त किन्तु सदैव क्रियाशील रहते हैं तथा सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि रखते हैं।
पता :- 1801 पटेल नगर, नई मंडी, मुजफ्फरनगर।
श्री जयनारायण जैन
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन खंडेलवाल महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष श्री छाजूराम जी बड़जात्या एक सर्वसंपत्र, धर्मपरायण एवं सामाजिक सेवा की प्रतिमूर्ति थे, उनके एक पुत्र सेठ सुआलाल जैन दिगम्बर जैन समाज की उत्तर भारत की विशिष्ट विभूतियों में से एक थे, इनका परिवार भारत के खंडेलवाल समाज के प्रमुख परिवारों में शोभाराम गोपालराय के नाम से गिना जाता रहा है। ये चैम्बर के, जैन विद्यालय के समाज के व मंडी के आजन्म अध्यक्ष रहे, साथ ही गुड़ वायदे के चैम्बर के व मेरठ की गउशाला के जीवन के अंतिम पहर तक अध्यक्ष
रहे।
इसी परिवार से सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में अमिट प्रभाव रखने वाले प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी अपने नाटे कद के कारण काका के नाम से लोकप्रिय श्री जयनारायण जैन ने अपनी युवावस्था में ही राजनैतिक एवं सामाजिक गतिविधियों में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया :
आपका जन्म 19 जनवरी, 1929 को मेरठ में श्री सुआलाल जी के घर हुआ। आपके पिता धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे। आपके बाबा श्री छाजूराम जैन भी अत्यन्त धर्मपरायण व्यक्ति थे। वे खंडेलवाल दिगम्बर जैन महासभा के अध्यक्ष भी रहे। आपने 1951 में मेरठ कॉलेज मेरठ से हिन्दी विषय में एम.ए. किया ।
आप 1960 से लगातार 8 वर्ष से मेरठ गुड मंडी के अध्यक्ष, 1960-72 तक केसरगंज व्यापार कम्पनी के चेयरमैन तथा बाद में मेरठ एप्रो कामेडिटिज एक्सचेंज के कई वर्षों तक चेयरमैन रहे। आप 1959 में अपने पिता की मृत्यु के बाद सदर जैन मंदिर के प्रबन्धक 1970 तक दिगम्बर जैन गर्ल्स इंटर कालेज के अध्यक्ष, सरस्वती शिशु मंदिर के संस्थापक मंत्री रहे व स्थायी समिति के सदस्य, सनातन धर्म इन्टर कालेज के मंत्री रहे व स्थायी समिति के सदस्य हैं। 1972 में मेरठ में मुनि विद्यानन्द चातुर्मास कमेटी के संयोजक आचार्य धर्मसागर जो के मेरठ प्रवास के व्यवस्थापक रहे। भगवान महावीर के 2500 वाँ निर्वाण महोत्सव के समय 1974 में आप जिला मेरठ के संयोजक रहे। जैन मिलन मेरठ के चार वर्ष तक मंत्री, 1982 में अध्यक्ष तथा 1976 से जैन मिलन कार्यकारिणी के सदस्य हैं। आपके नेतृत्व में 1976 में उप्र के राज्यपाल डा. एम. चन्ना रेड्डी के मंदिरों, धर्मशालाओं को सरकारी ट्रस्ट द्वारा नियंत्रित करने के आदेश का प्रबल विरोध किया जिसमें इन्हें पूर्ण सफलता मिली।
आप महासमिति केन्द्रीय कार्यकारिणी के अब संयुक्त महामंत्री हैं। आप दिगम्बर जैन परिषद के 1976 से 1986 तक कार्यकारिणी सदस्य रहे । आपने 1980 में जन मंगल महाकलश प्रवर्तन के दौरान उ.प्र. में उसके भ्रमण की पूरी व्यवस्था कराई । 1981 में श्रवणबेलगोला में उप्र से जाने वाले सभी यात्रियों की सेवा एवं मार्गदर्शन किया तथा वहां स्थापित 6 नम्बर के नगर के संयोजक रहे । आपने 1988-89 में आचार्य श्री कल्याण सागर जी एवं पूज्य मां श्री कौशल जी के चातुर्मास की व्यवस्था में