Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 637
________________ 6221 जैन समाज का वृहद् इतिहास हुआ। श्रीमती अनोपदेवी श्री निर्मलकुमार जी सेठी अध्यक्ष दि. जैन महासभा की बहिन है। आपके एक पुत्र मनोज साइन्स प्रेज्यूएट हैं तथा पुत्री बबिताने मी बार किया है। विशेष : -आपके द्वारा हस्तिनापुर में चार प्रतिमायें विराजमान की गई है। आप दि.जैन पावा नगर निर्वाण क्षेत्र समिति गोरखपुर के कोषाध्यक्ष हैं । गोरखपुर मिल मंदिर में आपके द्वारा मूर्ति विराजमान की गई है जहाँ आए प्रतिदिन पूजा पाठ करते हैं । आप सेठी फ्लोर मिल चिरगांवा गोरखपुर के डाइरेक्टर हैं। पता : - सेठी फ्लोर मिल,चिरगांवा,बसरतपुर गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) श्री प्रवीणचन्द छाबड़ा मथुरा के छाबड़ा परिवार में आपका जन्म सन् 1946 को हुआ | आपने फिजिक्स में एम.एस.सी.परीक्षा पास की । सन् 1966 में आपका विवाह श्रीमती लक्ष्मीदेवी से हुआ जिससे एक पुत्री एवं दो पुत्रों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पुत्री प्रेरणा का विवाह हो चुका है। दोनों मान्टू एवं मीनू पढ़ रहे हैं। आप उत्साही समाजसेवी हैं। आपके पिताजी श्री चिरंजीलाल जी छाबड़ा मथुरा के सब से वयोवृर एवं उत्साही सामाजिक व्यक्ति है। पता :- 1167, माणिक चौक, घोया मंडी,मथुरा । श्री प्रेमचन्द छाबड़ा श्री छाबड़ा जी मथुरा जैन समाज के वयोवृद्ध समाजसेवी श्री चिरंजीलाल जी छाबड़ा के सुपुत्र हैं। आपका जन्म 17.4-1935 को हुआ। यूपी.बोर्ड से हाई स्कूल किया और डोरी निवार के थोक व्यवसाय से जुड़ गये । सन् 1953 में आपका बिवाह श्रीमती शकुन्तला के साथ हुआ जिनसे आपको तीन पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । ज्येष्ठ पुत्र उपेन्द्रकुमार है जिसका विवाह श्रीमती नीरू के साथ हुआ है । वह एम.ए. है । द्वितीय पुत्र प्रदीपकुमार एम.कॉम. है । पत्नी का नाम सुलेखा है जो वी.ए. है। तृतीय पुत्र प्रदीपकुमार अध्ययन कर रहा है । आपको एक मात्र पुत्री दीपिका पढ़ रही है। पता :- प्रेमचन्द एण्ड ब्रदर्स, वृन्दावन दरवाजा.मथुरा 2-1169, माणिक चौक, मथुरा। श्री बाबूराम जैन मैनपुरी स्वतन्त्रता सेनानी श्री बाबूराम जैन ने स्वदेशी आन्दोलन एवं भारत छोड़ो आन्दोलन में दो बार जेल यात्रा की । आपका जन्म सन् 1910 में हुआ। सामान्य शिक्षा के पश्चात् पुस्तक विक्रेता का कार्य करने लगे और मैनपुरी जिले के प्रथम स्तर के पुस्तक व्यवसायी हो गये । सन 1941 में आपका विवाह श्रीमती शशि प्रभा से हो गया। आपको तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रभात कुमार राजकीय चिकित्सक हैं । आपको स्व.श्रीमती इन्दिरा गाँधी द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त हुआ। आप प्रादेशिक कांग्रेस सेवादल के कर्मठ सदस्य रहे।

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