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उत्तर प्रदेश का जैन समाज /605
मध्य एक समझौते के पश्चात हुआ । तथा जुलाई, सन् 1949 को यह राज्य केन्द्रीय राज्य में सम्मिलित हो गया। वर्तमान में रामपुर एक जिला है जो जिले का मुख्य कार्यालय है।
रामपुर में दिगम्बर जैन समाज के 65 परिवार हैं जो यहां के मूल निवासी हैं इनके अतिरिक्त 15-20 परिवार और भी बाहर से आकर रहने लगे है लेकिन अभी इनसे समाज घलमिल नहीं सका है। 65 परिवारों में 60 परिवार खण्डेलवाल जैन समाज के हैं । इनमें भी बम्ब गोत्र के ही 25 परिवार हैं । बम्ब गोत्र के इतने अधिक परिवार अन्यत्र कहीं नहीं मिलते।
रामपुर जैन समाज यद्यपि कोई बड़ा समाज नहीं है लेकिन यहां जैन इन्टर कॉलेज, महावीर जैन औषधालय, जैन बाग, जैन पुस्तकालय, जैन बेसिक स्कूल आदि संस्थायें दि. जैन समाज द्वारा संचालित हैं जिससे यहां के समाज की उदारता एवं सामाजिक सेवा के प्रति रुचि का पता चलता है । प्रसिद्ध जैन कवि कल्याण कुमार शशि जी यहीं के थे जिनका दो वर्ष पूर्व ही स्वर्गवास हुआ है।
यहां एक मंदिर है । जिसमें भगवान पार्श्वनाथ स्वामी की धातु की एक ऐसी प्रतिमा है जिसकी प्रतिष्ठा जैसलमेर (मारवाड-राजस्थान) में संवत् 1531 कार्तिक सुदी 11 को काष्ठासंघी श्रावक जिणदास अग्रवाल द्वारा कराई गई थी । जैसलमेर में प्रतिष्ठित होने वाली यह प्रथम प्रतिभा है जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि उस समय जैसलमेर में दिगम्बर जैन समाज के परिवार रहते थे । वहाँ दिगम्बर जैन मंदिर भी होगा जो वर्तमान में नहीं मिलता । कविवर बुलाखीचंद ने जैसलमेर में भगवान महावीर के समवसरण के आने एवं जैसवाल जाति के उद्भव की जो कहानी दी है उसमें जैसलमेर में अतीत में दिगम्बर जैनों की अच्छी संख्या होने का संकेत मिलता
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की वर्तमान राजधानी लखनऊ पहिले नवाबों की राजधानी रहा । गौमती नदी के किनारे बसा हुआ यह नगर राजनैतिक एवं सामाजिक गतिविधियों का प्रारंभ से ही केन्द्र रहा है । जैन यात्रा दर्पण में यहां पर चार दि. जैन मंदिर, 3 धर्मशाला, एक जैन औषधालय एवं एक जैन पाठशाला तथा 80 परिवार दि. जैन अग्रवालों के एवं 20 परिवार खण्डेलवाल समाज के होना लिखा है । वर्तमान मे यहां अग्रवाल जैन समाज के 30) घर एवं खण्डेलवाल समाज के 45 घर तथा अन्य समाजों के 25 घर हैं तथा 7 शिखरबंद मंदिर एवं चैत्यालय हैं। यहां जैन बाग एवं पार्श्वनाथ जिनालय प्रमुख है । लखनऊ में बा, अजितकुमार जैन एडवोकेट, एवं डा. ज्योतिप्रसाद जी जैन जैसे महान विद्वान हो गये हैं । महासभा के अध्यक्ष श्री निर्मल कुमार जी सेटी यहीं रहते हैं तथा महासभा का केन्द्रीय कार्यालय ऐशबाग में है। महासभा का प्रमख पत्र जैन गजट एवं जैन महिलादर्श भी यहीं से प्रकाशित होते हैं । बा. अजित प्रसाद जी जैन एवं डा. शशीकान्त शोधादर्श पत्र का प्रकाशन करते हैं। यहां श्री सौभाग्यमल जी काला ने अभी ऋषभायण महाकाव्य का निर्माण करवाकर उसे प्रकाशित कराया है।
उक्त नगरों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में पचासों ऐसे नगर/ग्राम हैं जिनमें दिगम्बर जैन समाज अच्छी संख्या में मिलता है । बड़े-बड़े मंदिर है । धर्मशालाएं हैं एवं जैन संस्थाएं हैं । उनका सामाजिक इतिहास तब तक लिखना