Book Title: Jain Samaj ka Bruhad Itihas
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 621
________________ 606/ जैन समाज का वृहद इतिहास कठिन है जब तक इतिहास लिखने के उद्देश्य से ही उनमें न जाया जावे क्योंकि अन्यत्र किसो पुस्तक में समाज की वास्तविक स्थिति के बारे में कोई उपलब्ध नहीं होती । इसलिये इन नगरों का इतिहास हम दूसरे खंड में देना चाहेंगे । फिर भी कुछ नगरों का सामान्य परिचय निम्न प्रकार है :सहारनपुर : सहारनपुर उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण नगर है। इस नगर के आस-पास हिन्दुओं का प्रख्यात तीर्थ हरिद्वार, शाकुम्भरी देवी है। मुसलमानों का प्रसिद्ध जियारतगाह पुराना किला तथा दारुल अतूम नाम की लोकविख्यात यूनिवर्सिटी देवबन्द में है जिसमें अरब, ईरान और अफगानिस्तान आदि के भी अनेक विद्यार्थी अध्ययन करते हैं । जैन धर्म का तो यह गढ़ ही है । औद्योगिक दृष्टि से गचा मिल, सिगरेट फैक्टरी, कपड़ा मिल, मैदा मिल, गत्तामिल, टायर फैक्टरी, चावल मिल, पेपर मिल, कोल्ड स्टोर आदि अनेक बड़े-बड़े कारखाने हैं। जहाँ लाखों व्यक्ति काम करते हैं। सन् 1857 की लिखी हुई प्रद्युम्नचरित की लिपि प्रशस्ति में सहारनपुर दुर्ग का उल्लेख है । कहा जाता है कि इसे शाह रनवीर सिंह जैन ने बसाया था जो दि. जैन धर्म का संचालक और मुगल बादशाह अकबर का जागीरदार था । अबुलफजल ने आईने अकबरी में भी इसे स्वीकार किया है कि शाह रनवीर अकबर की टकसाल के अधिकारी थे । उन्होंने ही सहारनपुर में टकसाल की स्थापना की थी । उसके बाद सहारनपुर बराबर अपनी प्रगति करता रहा । आज वह एक सम्पत्र शहर के रूप में देखने में आता है । यहाँ कालिज, हाई स्कूल, अस्पताल आदि जनोपयोगी संस्थाओं का निर्माण हुआ है । जैनियों द्वारा समय-समय पर अपने धार्मिक कार्य सम्पत्र होते रहे हैं । सन् 1931 में सहारनपुर में दि. जैन परिषद का अधिवेशन हुआ था । सन् 1956 में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सम्पन्न हई। सन 1971 में दि. जैन परिषद का अधिवेशन सेठ भागचन्द जी सोनी अजमेर की अध्यक्षता में हुआ। पूज्य गणेशप्रसाद जी वणी. आचार्य धर्मसागर और मुनि विद्यानन्द, ब. कौशल जी आदि साधु-संतों का सहारनपुर में विहार हो चुका है 1 धर्मोपदेश आदि का जनता को लाभ मिला । दयाचंद जी भगत जी का समाज पर पूरा प्रभाव देखा जाता है। सन् 1911 में जैन यात्रा दर्पण में सहारनपुर जैन समाज के बारे में निम्न जानकारी दी है -"रेलवे स्टेशन से शहर की आबादी ? फलांग के अनुमान है और मील के फासले पर मुहल्ला शोरमियान, यादगार, संघयान, चौधरयान ऐसे चार मुहल्ले हैं जिनमें जैन मन्दिर जी शिखरबन्द 10 तथा एक चैत्यालय है और इन मंदिरों में 200 के अनुमान जैन शास्त्र जी हैं । इन चारों मुहल्लों में 475 घर अग्रवाल जैनी भाईयों के हैं जिनमें मनुष्य संख्या 3500 है । इन साढ़े तीन हजार भाइयों में से बहुत से धनाढ्य तथा विद्वान हैं। यहां लाला नेमिदास वकील और बाबू बनारसीदास वकील हाइकोर्ट परोपकारी हैं। ___ जैन गजट अंग्रेजी के सम्पादक बा. जुगमन्दर लाल जी एम.ए, यहां बहुत बड़े विद्वान थे । उनका निधन नवम्बर सन् 1904 में हुआ था। दिनांक 27-2-29 दिसम्बर 1905 को सहारनपुर में अ. भा दि. जैन महासभा का वार्षिक अधिवेशन संपन्न हुआ । अधिवेशन में भाग लेने वालों को उत्तरी पश्चिमी रेलवे ने आधा किराया तथा शेष

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