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504/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
डाल्टनगंज
कोइल नदी के तट पर बसा हुआ डाल्टनगंज 125 वर्ष पुराना नगर है । डाल्टन नामक अंग्रेज अधिकारी द्वारा विस्थापित नगर होने के कारण इस नगर का नाम डाल्टनगंज रखा गया। नगर की वर्तमान में 2 लाख से अधिक जनसंख्या है। यहां दि. जैन समाज के 48 घर हैं जिनमें 45 घर खण्डेलवाल जैन समाज के हैं। एक-एक घर अग्रवाल, हूंबड़ एवं गुजराती समाज का है। खण्डेलवालों में रारा. बाकलीवाल, छाबड़ा, बड़जात्या, काला विनायक्या गंगवाल,पांड्या,कासलीवाल, पाटनी, बज, सेठी, पहाड़िया गोत्र वाले परिवार है। यहां एक मंदिर है
जो स्व. गणेश लाल जी रारा द्वारा बनवाया गया था । डाल्टनगंज में सभी व्यापारी समाज हैं । स्व. गणेशीलाल 'जी रारा पहिले जागीरदार थे। उनके बड़े सुपुत्र इतिहासज्ञ श्री रामचन्द्रजी रारा यहीं रहते हैं : डाल्टनगंज उत्तरी रेल्वे की बड़ी लाइन का स्टेशन हैं। औरंगाबाद
जिला मुख्यालय औरंगाबाद पचास हजार की जनसंख्या वाला नगर है जो गया एवं मुगलसराय के मध्य ईस्टर्न रेल्वे का बड़ा स्टेशन हैं । अनुग्रह नारायन रोड स्टेशन से 9 कि.मी. दूर औरंगाबाद स्थित हैं । यहीं पर अभी विशाल दिगम्बर जैन मंदिर का निर्माण सम्पन्न हुआ है जिसकी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा दिनांक 27-1-से 2-2-88 तक संपन्न हुई थी 1 नीचे की मंजिल में सरस्वती भवन एवं ऊपर मंदिर है। उसी से सटा हुआ मारवाड़ी भवन है जो धर्मशाला का काम देगा। भवन अति सुन्दर एवं दो मंजिला है। पूरा मंदिर संगमरमर का बना हुआ है ।
औरंगाबाद में जैन समाज की घनी आबादी नहीं है केवल सात परिवार खण्डेलवाल जैन समाज के एवं तीन परिवार अग्रवाल जैनों के हैं। सात परिवार में सेटी, बाकलीवाल, गंगवाल एवं पाटनी गोत्र वाले हैं.। श्री कन्हैयालाल जी सेठा यहां के समाज प्रमुख हैं।
औरंगाबाद के पास हसनपुरा में एक काला गोत्रीय परिवार एवं कुदरा जिला रोहतास में खण्डेलवाल जैनों के दो परिवार रहते हैं जो काला एवं कासलीवाल गोत्रीय हैं। रफीगंज
डेहरीआनसोन एवं गया के बीच में रफीगंज स्टेशन है । रफीगंज 25 हजार की जनसंख्या वाला नगर है। यहां 45 परिवार सरावगी समाज के हैं । एक मंदिर है। पुराने मंदिर के स्थान पर नये मंदिर का करीब 35 वर्ष पूर्व निर्माण हुआ था। उसी समय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का भी आयोजन हुआ था। समाज में काला, छाबड़ा, गंगवाल, कासलीवाल, झांझरी, पाटनी, लुहाड़िया, पहाड़िया एवं बड़जात्या गोत्रों के परिवार हैं। इनमें 8 घर कासलीवालों के एवं आठ घर गंगवालों के हैं। यहां पर श्री शांतिलाल जी बड़जात्या, दीनदयाल जी काला. भंवरलाल जी कासलीवाल की समाज सेवियों में अच्छी प्रतिष्ठा है। रफीगंज में तीन मील दूर पहाड़ी पर एक छोटी गुफा है जिसमें सप्तफणी पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान है तथा गुफा की चट्टान पर एक शिलालेख अंकित है । लेख पढ़ने में नहीं आता ।