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570/ जैन समाज का वृहद इतिहास
श्री हीरालाल अजमेरा
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सरिया के श्री हजारीलाल अजमेरा विशिष्ट समाजसेवी हैं। आप मूलतः खण्डेला ग्राम के है। वहां से 145 वर्ष पूर्व आपके पूर्वज लच्छोराम जी शिवनारायण जी यहां आकर रहने लगे । आपका जन्म 2-100-1925 को हुआ । हजारीबाग से मैट्रिक किया। सन् 1942 में आपका विवाह चांददेवी के साथ संपन हुआ । श्रीमती चांददेवी जी जियागंज के श्री गुलाबचंद जी काला की पुत्री हैं। आपको तीन पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य मिला। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री देवकुमार जी 43 वर्षीय युवा हैं। बी. कॉम. हैं। पत्नी का नाम अनिता है। तीन पुत्रियों के पिता हैं। दूसरे पुत्र अनिलकुमार 41 वर्ष के हैं जो बी.कॉम हैं। तृतीय पुत्र श्री विनोदकुमार भी बी कॉम हैं। पत्नी का नाम संगीता है। एक पुत्र एवं एक पुत्री की मां हैं। दोनों पुत्रियां कुसुम एवं प्रेम का विवाह हो 'चुका है. I
हजारीबाग का दि. जैन मंदिर एवं खण्डेला का जैन मंदिर आपके पूर्वजों ने बनवाया। वर्तमान में खण्डेला में जो धर्मशाला बन रही हैं वह भी आपका ही मकान है। आप प्रतिदिन पूजापाठ करते हैं। दि. जैन समाज सरिया के 20-25 वर्ष तक अध्यक्ष रह चुके हैं। ईसरी धर्मशाला में एक कमरे का निर्माण करवाया है। आपके दादाजी बिहार के 762 गांवों के जमींदार थे । आपने व्यापार व्यवसाय में जो कुछ उत्कर्ष किया है वह सब आपका स्वयं का परिश्रम एवं समर्पण है ।
आपकी धर्मपत्नी के शुद्ध खान-पान का नियम है। आप दशलक्षण एवं अष्टान्हिका व्रत के दस एवं आठ उपवास कर चुकी हैं। इसके अतिरिक्त आपके पुत्र देवकुमार जी एवं अनिलकुमार जी एवं उनकी धर्मपत्नी ने भी दशलक्षण व्रत उपवास किये हैं।
पता हीरालाल जैन, स्टेशन रोड, सरिया (बिहार)
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श्री हुकमचंद सेठी
आपके पूर्वज धोद (सीकर, राजस्थान) के निवासी थे। वहां से करीब 124 वर्ष पहिले गया आकर बस गये। आपके पिताजी श्री गुलाबचंद जी की 32 वर्ष की उम्र में ही मृत्यु हो गई थी। माताजी श्रीमती कूकीबाई का 20 वर्ष पहिले निधन हो गया। सेठी जी का जन्म कार्तिक सुदी 14 संवत् 1984 को हुआ। आपने मैट्रिक किया और मेडिकल एवं होटल व्यवसाय करने लगे। सन् 1944 में आपका विवाह श्रीमती शांतिबाई के साथ संपन्न हुआ जिनसे आपको तीन पुत्र जितेन्द्र, विजयकुमार एवं अजितकुमार तथा चार पुत्रियां सरोज, विमला, मंजू एवं पुष्पा की प्राप्ति हुई । विजयकुमार आपके बड़े भाई के गोद चले गये । जीतेन्द्र एवं सभी पुत्रियों का विवाह हो गया। श्रीमती मंजू लेखक के छोटे भाई वैद्य प्रभुदयाल जी की
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आपके बड़े भाई स्वरूपचंद जी ने गया पंचकल्याणक में इन्द्र की बोली ली थी। उनका सन् 1969 में 45 वर्ष की आयु में ही स्वर्गवास हो गया। उनके पांच पुत्रियां हैं सभी का विवाह हो चुका है। विजयकुमार इन्हीं का दत्तक पुत्र है ।
श्री सेठी जी मुनिभक्त हैं। आहार देने में रुचि लेते हैं तथा शांति के साथ जीवनयापन करते हैं। पता : जैन मेडीकल स्टोर, जी.बी. रोड, गया ।