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मालवा प्रदेश का जैन समाज /599
सामाजिक सेवा
सेठी जी समाज सेवा के पर्याय हैं । प्रारम्भ से ही उनका जीवन संघर्षों में जूझता रहा । आप पं. चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ के प्रमुख शिष्य है और समाजसेवा की लगन एवं रुचि भी उन्हीं की प्रेरणा का सुफल है। विद्यार्थी जीवन से ही वे रूढ़ियों एवं कुरीतियों के घोर विरोधी रहे । उन्होंने अपना जीवन कलकत्ता में सेठों के यहाँ सर्विस करते हुए प्रारम्भ किया। यहां उन्होंने बंगीय अहिंसा परिषद् की स्थापना करके सार्वजनिक सेवा में प्रवेश किया तथा सुप्रसिद्ध कालिका मंदिर पर होने वाले हजारों बकरों की बलि के विरोध में सत्याग्रह किया और पिटाई खाने पर भी मैदान नहीं छोड़ा। कलकत्ता से जयपुर आने के पश्चात् आपने खण्डेलवाल जैन समाज में लोहड साजन बडसाजन आन्दोलन में खुलकर भाग लिया और आचार्य कल्प चन्द्रसागरजी महाराज के कोप का भाजन बनना पड़ा । जुझारू स्वभाव के कारण आपका खण्डेलवाल जैन महासभा द्वारा जातीय बहिष्कार किया गया लेकिन सरसेठ हुकमचन्द जी साहब के प्रत्यक्ष समर्थन से महासभा के प्रस्ताव को 167 पंचायतियों द्वारा ठुकरा दिया गया।
जयपुर से उज्जैन आने के पश्चात् सर्वप्रथम खादी भण्डार चलाया और फिर कपड़े का थोक व्यापार करना प्रारम्भ किया जिसमें आपको अपूर्व सफलता प्राप्त हुई । समाज से प्रत्यक्ष सम्पर्क रखने के लिये आपने शास्त्र स्वाध्याय प्रारम्भ किया । सूर्यसागर
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प. सत्यन्धर कुगार सेठी उज्जैन
श्रीमती सूरजकुमारी धर्मपत्नी पं. सत्यन्धर
श्री सुशील कुमार सेठी
कुमार सेटी
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रविकांता सर्मपत्नी सुशील कुमार सेठी
श्री रजनीश कोठी
श्री सजय सेठी