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592/ जैन समाज का बृहद् इतिहास
विशेष : आपके पिताजी ने शिखर जी में सहस्वकृट चैत्यालय का निर्माण करवाया था। उनका कलकता में बहुत बड़ा व्यवसाय था। स्वभाव से परम धार्मिक थे। आपने उज्जैन में मांगलिक भवन में एक हाल का निर्माण, महावीर कीर्ति स्तंभ के निर्माण में योगदान,लक्ष्मीनगर कालोनी में दि. जैन मंदिर के निर्माण में योगदान,मंगलकलश की बोली ली थी। गोम्मटगिरी इन्दौर के पंचकल्याणक में आर्थिक सहयोग आदि विभिन्न यशस्वी कार्य किये । आपकी धर्मपत्नी भी धार्मिक स्वभाव की महिला हैं। वह दशलक्षण व्रत के दस उपवास कर चुकी हैं। स्वयं गंगवाल साहव उदार, सरल स्वभादी, धार्मिक जीवन जीने वाले सम्माननीय समाजसेवी हैं। मुनिभक्त हैं आहार देने में पूरी रुचि लेते हैं। तीर्थ वंदना पर जाते रहते हैं।
पता : सरावगी ट्रेडिंग कम्पनी नजरअली मार्ग,उज्जैन । श्री माणकचन्द गंगवाल एडवोकेट
जन्मतिथि - 29 अगस्त, 1916 शिक्षा - एम.ए.(सन् 1941 में) एल.एल.बी. 1940 में आगरा विश्वविद्यालय से।
आपके पिताश्री धर्मवीर सेठ कन्हैयालाल जी गंगवाल का स्वर्गवास सन् 1953 में एवं माताजी श्रीमती बसन्ती बाई का निधन सन् 1967 में हुआ । आपका विवाह सन् 1932 में श्रीमती . जीबाई के साथ आगरा में सम्पन्न हुआ । आप दोनों को 4 पुत्र एवं 5 पुत्रियों के माता-पिता बनने ! का सौभाग्य प्राप्त है । सभी पुत्रियों का विवाह हो चुका है। चार पुत्रों में उत्तमचंद व्यवसाय करते है । हैं । कैलाशचन्द, अशोककुमार वकील हैं । वीरेन्द्रकुमार आपके साथ कार्य करते हैं।
विशेष - लश्कर में किशनलाल गंगवाल दि.जैन मंदिर एव धर्मशाला का निर्माण आपके पूर्वजों ने कराया था। सोनागिर में कैलाशगिरी की रचना आपके द्वारा कराई गई।
सन् 1971-72 में लाइन्स क्लब के अध्यक्ष रहे । सन 1976 से ही मध्यप्रदेश टैक्स बार के अध्यक्ष हैं । ग्वालियर नगर निगम के सन् 1944 से 1946 तक सदस्य रहे । मध्यप्रदेशीय शासकीय अधिवक्ता (विक्रय कर) सन् 1961 से सन् 1974 तक रहे । मध्यप्रदेश चैम्बर ऑफ कामर्स के कार्यकारी सदस्य रहे।
धार्मिक एवं सामाजिक :
महासभा,महासमिति एवं तीर्थ क्षेत्र कमेटी सभी के आप क्रियाशील सदस्य हैं। 2500 सौ वा निर्वाण महोत्सव समिति के सक्रिय सदस्य थे। सोनागिर के सन 1959-60 के वार्षिक मेले पर तीर्थ भक्त की उपाधि से सम्मानित हो चुके हैं।
आपको तरह आपके पिताश्री कन्हैयालाल जी गंगवाल भी अच्छे पंडित थे । भादवा के महिने में शास्त्र प्रवचन किया करते थे। प्रतिवर्ष सोनागिर जाकर सिद्धचक्र मंडल विधान की पूजा करते थे । तीन लोक का मंडल मांडने में निपुण थे । संगीत में रुचि रखते थे।
पता - गंगवाल निवास, सर्राफा बाजार लश्कर (ग्वालियर)