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मालवा प्रदेश का जैन समाज /575
इन्दौर, उज्जैन एवं ग्वालियर के यशस्वी समाज सेवी
1. श्री अशोककुमार बड़जात्या
2. श्री इन्दरचन्द पाटनी
3. श्री उजासचन्द काला
ऊषा जैन
4.
5. श्रीमती कमलादेवी पांड्या
6. डॉ. कैलाशचन्द जैन
7. श्री घमण्डी लाल बोहरा
8. श्री देवकुमार सिंह कासलीवाल
9. श्री धनराज कासलीवाल
10. श्री नरेन्द्रकुमार गोधा
11. पं. नाथूलाल शास्त्री
12. श्री नेमीचन्द पांड्या
13. श्री प्रकाशचन्द टोंग्या
14. श्री प्रेमसागर जैन रिन्धिया
15. श्री फूलचन्द जैन खुरई
16. श्री फूलचन्द झांझरी
17. श्री बाबूलाल पाटोदी
18. श्री मदनलाल सोनी
19. श्री महावीर प्रकाश निगोतिया
20. श्री मदनलाल गंगवाल
21. श्री माणकचन्द्र गंगवाल एडवोकेट, लश्कर
22. श्री मानिकचन्द पाटनी, इन्दौर
23. श्री मूलचन्द पांड्या
24. श्री राजाबहादुर सिंह कासलीवाल
25. श्री ललितकुमार जैन पांड्या 26. श्री विमलचन्द बाकलीवाल
27. पं. श्रीराम जैन बाकलीवाल
28. श्री सत्यंधर कुमार सेठी
29. श्री सूरजमल गोधा 30. श्री सुरेश कुमार गंगवाल
समाज के दिवंगत नेता
सर सेठ हुकमचन्द जी इन्दौर
20 वीं शताब्दी में जिन श्रेष्ठि जनों ने जैन समाज को सबसे अधिक प्रभावित किया, अपनी सेवा एवं आर्थिक सहयोग के बल पर उसकी विकास यात्रा को अबाधगति से गतिमान रखा तथा शासन के सर्वोच्च पदाधिकारी को अपना बनाकर रखा उनमें सर सेठ हुकमचन्द जी कासलीवाल, इन्दौर का नाम सबसे प्रथम लिया जा सकता है। उनकी लोकप्रियता का तो इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि शासन एवं समाज ने उनको इतनी उपाधियों से विभूषित किया कि सब उपाधियों को याद रखना भी कठिन हो गया। व्यापार में वे राजा थे और व्यापारिक क्षेत्र में उनके नाम का सिक्का चलता था। वे कॉटन किंग के नाम से प्रख्यात थे।
सरसे का जन्म 14 जुलाई 1874 में हुआ। उन्होंने सामान्य शिक्षा प्राप्त की लेकिन व्यावसायिक दक्षता उनमें जन्मजात थी । वे भाग्यशाली थे । इसलिये जो भी कार्य किया उसी में सफलता मिलती गई। अपने समय में वे सारे मध्य भारत में अकेले करोड़पति थे इसलिये उन्हें धन कुबेर की उपाधि प्राप्त थी ।