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बिहार प्रदेश का जैन समाज /525
श्री जयकुमार जैन गंगवाल
सामाजिक कार्यकर्ता एवं उत्साही युबा श्री जयकुमार जैन गंगवालका गया समाज में प्रतिष्ठित स्थान है । आपके पिताजी श्री लक्ष्मीनारायण जां गंगवाल का सन् 1951 में ही निधन हो गया। उस समय उनकी आयु मात्र 52 वर्ष की थी । आपकी माताजी श्रीमती रतनी देवी का अभी आशीर्वाद प्राप्त है। आपका विवाह सन् 1954 में श्रीमती पद्मावती देवी से संपन्न हुआ जो पद्यश्री धर्मचन्द जी की बहिन है । आप दो पुत्रों श्री विजयकुमार एवं राजेशकुमार से अलंकृत हैं । विजयकुमार बी.कॉम. है उनकी पत्नी का नाम ललितादेवी है । राजेश कुमार ने बी.ए.किया है । सीमा पत्नी का नाम है।
गया पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आपके चाचाजी श्री सुगनवंद जी सौधर्म इन्द्र के पद पर आसीन हुये थे। आपने औरंगाबाद मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग दिया था। सभी तीर्थों की वंदना कर चुके हैं । सन् 1986 में जापान की यात्रा की थी। आपकी माताजी के शुद्ध खानपान का नियम है । मुनियों को आहार आदि देती रहती हैं । बिहारहोजरी एसोसियेशन की उपसभाध्यक्ष हैं। पता: लक्ष्मीनारायण, विजय कुमार
कृष्ण प्रकाश पथ, कोतवाली के पास.गया (बिहार) श्री जयदेव छाबड़ा
अभ्रक व्यवसायी श्री जयदेव छाबड़ा धार्मिक प्रकृति के एवं भट्ट परिणामी है । प्रतिदिन पूजा अभिषेक करते हैं । मुनिपक्त हैं । आहार देने में पूर्ण रुचि रखते हैं । दि.जैन समाज झूमरीतिलैया के 10 वर्ष से भी अधिक समय तक कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। इसी तरह कोडरमा गौशाला के श्री मंत्री रह चुके हैं।
आपका जन्म संवत् 1979 में हुआ। सामान्य शिक्षा प्राप्त की और फिर व्यवसाय की ओर मुड़ गये । संवत् 1998 में श्रीमती देवी से विवाह हुआ जिनसे आपको तीन पुत्रों के पिता बनने का गौरव प्राप्त है । तीन पुत्रों में श्रीपालकुमार,विनोदकुमार एवं संजयकुमार में प्रथम दोनों का विवाह हो चुका है।
झुमरीतिलैया में इन्द्रध्वज मंडल विधान हुआ था तब आपने इन्द्र बनने का सौभाग्य प्राप्त किया । आपकी धर्मपली तीन बार तीर्थ वंदना कर चुकी हैं। छाबड़ा जी शांत स्वभावी हैं तथा अपने व्यवहार से सबको प्रसत्र रखते हैं।
पता :- जैन मोहल्ला,झुमरीतिलैया (बिहार) श्री जीतमल छाबड़ा
छाबड़ा जी के पूर्वज शेखावाटी के कासली पाम से करीब 150 वर्ष पूर्व भिवानी आये और फिर 75 वर्ष पूर्व कलकत्ता से यहां आकर अभ्रक का व्यवसाय करने लगे । आपका जन्म 77 वर्ष पूर्व आसोज माह में हुआ । आपके पिताजी श्री नानगराम जी छाबड़ा का काफी समय पूर्व स्वर्गवास हो गया और माताजी तो आपको पांच वर्ष का छोड़कर स्वर्ग चली गई।