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548/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
श्री मानमल जी अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की बिहार शाखा के संरक्षक,बिहार दिगम्बर जैन धार्मिक न्यास सुरक्षा समिति के अध्यक्ष,दि.जैन समाज झूमरीतिलैया के पूर्व अध्यक्ष हैं । आपका अनेक समाज संस्थाओं से संबंध रहता है । तथा समाज सेवा में पूर्ण रुचि लेते हैं।
अपनी व्यस्तता के बावजूद भी श्री मानमल झांझरी विधान रचना में सक्रिय हिस्सा लेते हैं इनके द्वारा की गई विधान रचना सहज ही में हर किसी का ध्यानाकर्षित करती हैं। उनके द्वारा रचित मंडल विधानों का रंग सामंजस्य जी देखने योग्य होता है। श्री झांझरी का कई शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सार्वजनिक संगठनों से संबंध है।
श्री मानमल जी ने झुमरीतिलैया से बुन्देलखंड एवं आपसी की तीर्थयात्रा प्रायोजित की थी। इसके पूर्व सन् 1963 में दांता में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करवाई । समोवशरण वेदी में महावीर भगवान की प्रतिमा विराजमान की । प्रतिष्ठाओं में सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य भी पाया है। इस वृद्धावस्था में भी युषकोचित उत्साह,कर्मठ,धर्म और समाजसेवी, विवेकी,सरलस्वभावी एवं उदार हैं। आपके भाई एवं भाभी श्री राजमल जी एवं केसरबाई ने प्रतिष्ठाचार्य भगवान के माता-पिता होने का अहोभाग्य पाया था । घर-घर में जिनवाणी के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित रहते हैं। परम मुनिभक्त हैं।
श्री झाझरी परिवार द्वारा रोटरी क्लब ऑफ कोडरमा द्वारा प्रति वर्ष आयोजित होने वाले नेत्रदान शिविरों में भरपूर सहायता एवं सहयोग दिया जाता है । इसके अलावा झुमरीतिलैया के समीपवर्ती मामों के ग्रामीणों के स्वास्थ्य रक्षा को जरूरत पूरो करने हेतु मडुआ रोड,करमा (हरिजन टोला) एवं वार्ड नं. 11 में एलोपैथिक एवं होम्योपोधिक डिस्पेन्सरी इनके द्वारा चलाई जा रही है । झुमरीतिलैया समाज के तत्वाधान में 1981 में आयोजित इन्द्रध्वज विधान इनके देखरेख एवं सहयोग से चिरस्मरणीय रूप में संपन्न हुआ। श्री महावीरप्रसाद झांझरी
आपके एक मात्र सुपुत्र है। जिनका जन्म मार्च सन् 1936 को झुमरीतिलैया में हुआ । मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आपने अभ्रकखनन एवं ग्लास उद्योग में प्रवेश किया। आपका विवाह श्रीमती नेमीदेवी के साथ संपन्न हुआ। आपके तीन पुत्र सुरेश, नरेन्द्र एवं मुत्रा है तथा चार पुत्रियां हैं। विशेष- श्री महावीरप्रसाद जी अनेक शैक्षणिक एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी हैं। अभ्रक व्यवसायियों पर आपका पूरा प्रभाव है । जब लेखक श्री रामचन्द्र जी रारा के साथ झुमरीतिलैया गया तब वहां आपसे बहुत सहयोग मिला। काम करने की लगन एवं उत्साह सराहनीय है। आपको अपने पिताश्री से पूरे संस्कार पिले हैं।
श्रीमती जाना देवी धर्मपत्नी श्री मानगल झांझरी
श्री महावीर प्रसाद शारी
श्रीपतो नमी देनी धर्मपत्नी श्री महावीर प्रमाद