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546 / जैन समाज का बृहद् इतिहास
स्वर्गवास हो चुका है। सौगानी जी का जन्म 3 अप्रैल सन् 44 को मंळा भीमसिंह (राज) में हुआ। सन् 1963 में आपने राजस्थान विश्वविद्यालय से बी.ए. किया लेकिन इसके पूर्व सन् 1960 में ही श्रीमती तारामणि से दाम्पत्य सूत्र में बंध गये। जिनसे आप दो पुत्र एवं दो पुत्रियों से अलंकृत हो चुके हैं। दोनों पुत्र संजयकुमार (21 वर्ष) एवं अजयकुमार (19 वर्ष) पढ़ रहे हैं। लेकिन दोनों पुत्रियों बीना एवं सरिता का विवाह हो चुका है।
आपने अपने ग्राम मंडा भीमसिंह में मंदिर में वेदी का निर्माण करवाया तथा वेदी प्रतिष्ठा के अवसर पर आपके बड़े भ्राता इन्द्र के पद से सुशोभित हुये । कृषि उत्पाद बाजार समिति के व्यापारिक सदस्य हैं। राज्य थोक व्यापारिक संघ के सक्रिय सहयोगी रहे हैं। छोटा नागपुर चैम्बर आफ कामर्स के सदस्य हैं। गुड़ विक्रेता संघ रांची के सेक्रेटरी हैं। आपके हापुड, पनडरा (रांची) में व्यावसायिक केन्द्र हैं।
आपके चार बड़े भाई, एक छोटा भाई एवं दो बहिनें हैं। जिनमें छगनलाल जी 75 वर्ष, गुलाबचन्द 71 वर्ष एवं कुन्दनमल ज 58 वर्ष के हैं। एक भाई सूरजमल जी पूर्व स्वर्गवास हो चुका है। छोटे भाई रतनलाल जी 45 वर्ष के हैं। दोनों बहिनों मूली बाई एवं बादाम बाई का विवाह हो चुका है।
सौगानी साहब का संपन्न एवं बड़ा परिवार है। सब भाईयों में मिलनसारिता एवं एकता तथा स्नेह हैं। समाज को आपसे बड़ी आशायें हैं।
पता :- रतनलाल मदनलाल जैन, वेस्ट मार्केट रोड, अपर बाजार, रांची (बिहार)
श्री महासुख बड़जात्या
मारोठ (राजस्थान) के निवासी श्री महासुख बड़जात्या के पिता श्री मूलचंद जी बड़जात्या 65 वर्ष पूर्व गया आकर रहने लगे । आपका सन् 1967 में 82 वर्ष की आयु में तथा आपकी धर्मपत्नी श्रीमती केशरबाई का सन् 1969 में स्वर्गवास हो गया । श्री महासुख जी बड़जात्या का जन्म जेष्ठ सुदी 5 संवत् 1967 को हुआ। सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप वस्त्र व्यवसाय के थोक विक्रेता बन गये। संवत् 1989 में आपका विवाह श्रीमती आचुकी देवी से संपन्न हुआ। जिनसे आपको एक पुत्र प्रदीपकुमार एवं पुत्री भंवरबाई की प्राप्ति हुई। श्री प्रदीपकुमार 32 वर्षीय युवा हैं। उषा देवी आपकी धर्मपत्नी हैं जो एक पुत्र एवं तीन पुत्रियों की जननी हैं। भंवरबाई का विवाह हो चुका है।
श्री बड़जात्या जी, संवत् 2018 में आयोजित गया पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सनत्कुमार ने इन्द्र के पद को सुशोभित किया। मारोठ में साहों के मंदिर की वेदी का जीर्णोद्धार कराया। आपने सभी तीर्थों की वंदना कर ली है। शुद्ध खानपान का नियम है तथा मुनियों को आहार देने में आगे रहते हैं। गया जैन विद्यालय में संयुक्त मंत्री रह चुके हैं। आपकी धर्मपत्नी ने एक बार दशलक्षण व्रत के उपवास किये थे। मारोठ में बेदी प्रतिष्ठा के समय सिद्धचक्र विधान का आयोजन किया था।
पता : मूलचंद महासुख, ला रोड, गया (बिहार)
श्री मानिकचंद गंगवाल
बिहार जैन समाज में श्री मानिकचंद गंगवाल का प्रतिष्ठित स्थान हैं। आप उदारमना हैं तथा सामाजिक कार्यों में रुचि पूर्वक भाग लेते हैं। बिहार प्रान्तीय दि. जैन महासभा के संयुक्त महामंत्री हैं। कोल्हुआ पहाड़ विकास समिति के सदस्य है ।