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508/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
काला, छाबड़ा, गंगवाल, पाटोदी, पाटनी, बाकलीवाल, कासलीवाल, गोधा, ठोल्या, पापड़ीवाल, बड़जात्या, चौधरी, रांवका गोत्र वाले हैं। गिरडीह
गिरडीह बिहार का एक जिला है । मिरडीह एक लाख की जनसंख्या वाला नगर है। यहां भी अभ्रक का प्रमुख व्यवसाय है। यहां दि. जैन समाज के करीब 104 परिवार हैं जिनमें खण्डेलवाल जैनों के 75, अग्रवाल जैनों के 15 एवं शेष पल्लीवाल एवं पद्मावती पुरवालों के हैं। यहां दो जैन मंदिर है एवं एक जैन भवन है। एक जैन विद्यालय है । दि. जैन समाज के श्री सुरेन्द्र कुमार जी पांड्या अध्यक्ष हैं। अन्य समाजसेवियों में श्री राजमल जी सेठी, उम्मेदमल जी साह, फूलचन्द जी चौधरी के नाम उल्लेखनीय हैं । यहां पांड्या, रारा, बड़जात्या, झांझरी, गोधा, साह, पाटनी, बाकलीवाल, पाटोदी (चौधरी) विनायक्या, छाबड़ा-गोत्रीय परिवार हैं।
यहां के मन्दिर में एक वेदी चण्डीप्रसाद जी फतेहपुर निवासी कलकत्ता वालों की माताजी ने संवत् 1988 में बनवायी थी । पार्श्वनाथ समवशरण श्री बिहारीलाल जी एवं श्रीमती अण्ची देवी की पुण्य स्मृति में श्री झाबरमल मोदी ने संवत् 1998 में बनवाया था। इसी तरह बाहुबली जिनालय का निर्माण चूरू वासी श्री दुर्गाप्रसाद जी मोदी (सरावगी) ने अपनी धर्मपली स्वर्गीय अणची देवी के स्मरणार्थ संवत् 2019 में बनवाया था। संवत् 1933 सन् 1926) में आचार्य शान्तिसागर जी महाराज ने यहां चातुर्मास किया था।
सरिया
गिरडीह जिले में सरिया एक छोटा नगर है जिसकी बीस हजार की जनसंख्या है। यहां दिगम्बर जैन समाज के 15 परिवार हैं । बिहार के सामाजिक नेता श्री महावीर प्रसाद जी सेठी का यहीं निवास स्थान है । श्री हीरालाल जी अजमेरा यहां के प्रसिद्ध समाजसेवी हैं। एक बार क्षुल्लक सिद्ध सागर जी महाराज के संघ के साथ प्रस्तुत पुस्तक के लेखक एवं उनके साथी सम्मेदशिखर जी की यात्रा में सरिया गये थे तब श्री महावीर प्रसाद जी ने पूरे संघ का आतिथ्य किया था।
हजारीबाग
हजारीबाग बिहार का औद्योगिक खनिज एवं कोयला की खानों का जिला है। यहां दिगम्बर जैन समाज के 165 घर हैं जिनमें 160 खण्डेलवाल जैनों के, तीन पद्मावती पुरवालों के एवं शेष अग्रवाल जैनों के परिवार हैं । पूरे दिगम्बर जैनों की जनसंख्या 1500 है । यहां 2 मन्दिर हैं और वे दोनों ही खण्डेलवाल जैन समाज द्वारा निर्मित हैं। दो धर्मशालायें हैं, एक जैन विद्यालय है तथा एक होम्योपैथिक दातव्य औषधालय है । यहां के बड़े बाबा का मन्दिर का संवत् 1959 में निर्माण हुआ था। यह मन्दिर जयपुर शैली पर निर्मित है। मन्दिर की सुन्दरता एवं मूर्तियों की मनोज्ञता दर्शनीय है । तीन वेदियां हैं । इस जिले का यह एक अच्छा मन्दिर है ।