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पटना
बिहार प्रदेश का जैन समाज /507
पटना बिहार प्रान्त की राजधानी है। यहां की जनसंख्या 20 लाख से ऊपर होगी। पटना सुदर्शन स्वामी का निर्वाण स्थल है तथा गुलजार बाग में सुदर्शन स्वामी के चरण स्थापित हैं। यहां की जैन समाज में खण्डेलवाल, जैसवाल, अग्रवाल, परवार, पद्मावती पुरवाल, लमेचू पटवारी, राजपूत, खरोआ, बुढेलवाल जातियों के परिवार हैं। खण्डेलवाल जैनों के 125 परिवार हैं जिनमें पहाड़िया, गंगवाल, छाबड़ा, पाटनी, सेठी, पांड्या, झांझरी, टोंग्या, साखण्या, गोधा, बगडा (कासलीवाल) रारा, बड़जात्या, बैनाड़ा, बाकलीवाल, काला, ठोल्या, गदिया, लुहाड़िया, सौगानी एवं रावका गोत्र वाले परिवार हैं। श्री मोतीलाल जी बैनाड़ा, गोपीचन्द जी सेठी, कन्हैयालाल जी बड़जात्या आदि के प्रतिष्ठित परिवार हैं। श्री बदरीप्रसाद जी सरावगी पटना सिटी में रहते हैं जो भारतीय स्तर के समाजसेवी हैं। भट्टारक रत्नचन्द ने संवत् 1683 में यहां सुभौमचक्रीचरित की रचना की थी। रतनचन्द्र भट्टारक सकलचन्द्र के शिष्य थे। और हेमराज सेठ के साथ सम्मेदशिखर जी की यात्रा की थी। यात्रा से लौटकर पूरा संघ सुदर्शन सेठ के मंदिर में ठहरा था और वहां हेमराज की प्रार्थना पर पं. तेजपाल के सहयोग से उक्त चरित काव्य की रचना की थी।
चंपारन जी.टी. रोड़ पर स्थित नारी ) हजार की बस्ती है। यहां आठ जैन परिवार हैं तथा एक मंदिर है। जैन परिवारों में 7 खण्डेलवाल एवं एक पल्लीवाल परिवार हैं।
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इटखोरी :- यहां चार खण्डेलवाल जैन परिवार हैं तथा एक चैत्यालय है ।
चतरा :- यहां आठ परिवार रारा गोत्रीय हैं। रामचन्द्रजी रारा गया के परिवार के हैं। एक मंदिर एवं एक धर्मशाला है ।
सिंगराव में 2 खण्डेलवाल जैनों के परिवार हैं।
कोडरमा- झुमरीतिलैया
50 हजार की बस्ती वाला नगर हैं। हजारी बाग जिले का कोडरमा उप जिला है तो झुमरीतिलैया से सात कि.मी. । यहां दि. जैन समाज के 131 परिवार हैं जिनमें 125 खण्डेलवाल, 4 अग्रवाल, एक पोरवाल एवं एक पल्लीवाल परिवार हैं। दो मंदिर हैं जिनमें एक पंचायती मंदिर एवं एक छोटा मंदिर है। जैन संस्थाओं में जगन्नाथ जैन कॉलेज, जगन्नाथ जैन औषधालय एवं भंवरलाल जैन औषधालय हैं। यहां जगन्नाथ जी पांड्या प्रतिष्ठित श्रेष्ठी हो गये हैं। वर्तमान में श्री मानमल जी झांझरी बिहार के ही नहीं भारतीय स्तर के समाजसेवी हैं। उनके पुत्र श्री महावीरप्रसाद जी झांझरी भी उत्साही समाज सेवी हैं जिन्होंने हमें झुमरीतिलैया में बहुत सहयोग दिया था । यहां पर अधिकांश जैन परिवार अभ्रक के व्यवसायी हैं। खण्डेलवाल जैन परिवारों के सेठी, झांझरी, पांड्या,