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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /477
श्री गुलाबचंद गोधा
धर्मनिष्ठ, मुनिभक्त, दृढ संकल्पी उदात्त व्यक्तित्व के धनी जैसे विशेषणों से अभिनन्दित श्री गुलाबचंद जी गोया मदनगंज किशनगढ की श्री मुनिसुव्रतनाथ दि. जैन पंचायत से वैशाख शुक्ला 10 संवत् 2041 को सम्मानित हो चुके हैं। आपका संवत् 1979 में जन्म हुआ । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप व्यवसाय की ओर मुड़ गये। आपके पिताजी मनसुखलाल जी का स्वर्गवास हुये करीब 18 वर्ष हो गये । माताजी चांद देवी का स्वर्गवास भी 8 वर्ष पूर्व हो गया था। संवत् 1994 में आपका विवाह लदेश की अनूपदेवी के साथ संपन्न हुआ । विवाह के अवसर पर आप केवल 15 वर्ष के थे। आप दोनों पति पत्नी को तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियों
के माता-पिता बनने का गौरव प्राप्त है। तीनों पुत्र प्रकाशचंद, सुमेरचंद एवं राजकुमार आप ही के साथ व्यवसाय करते हैं। तीनों पुत्रियों गुणमाला, प्रेमन्दाई एवं शकुन्तला का विवाह हो चुका है।
आपके पिताजी सप्तम प्रतिमाधारी थे तथा आप स्वयं भी तीन प्रतिमाओं के धारक हैं। खानिया पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आप ईशान इन्द्र के पद से सुशोभित हुये थे। मुनिसुव्रतनाथ पंचकल्याणक में आपने मूर्तियों की प्रतिष्ठा करवाई थी । आचार्य धर्मसागर जी महाराज को देहली से किशनगढ़ तक लाने में आपका सर्वाधिक योगदान रहा।
शांतिकुमार गोधा
आपके छोटे भाई हैं। पंचायत समिति किशनगढ के दो बार प्रधान रह चुके हैं। राजनीति में कांग्रेस (आई) के सक्रिय एवं कर्मठ सदस्य हैं । महावौर इन्टरनेशनल के अध्यक्ष रह चुके हैं। किशनगढ़ उपखंड विकास समिति के सेक्रेट्री हैं। मुनिसुक्त पंचायत की स्थापना से अब तक मंत्री का कार्य कर रहे हैं। राज. दि. जैन महासभा के संयुक्त मंत्री युवा कार्यकर्ता हैं। जब आप जयपुर में कार्यरत थे तो यहां भी आपने अच्छी लोकप्रियता प्राप्त को थी ।
पता: गोधा भवन, मदनगंज किशनगढ़
श्री चम्पालाल पाटनी
उदार स्वभाव के चम्पालाल पाटनी का जन्म आसोज बुदी 7 संवत् 1989 को हुआ था । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप अपने पिताजी श्री सुगनचन्द जी के साथ वस्त्र व्यवसाय में लग गये। श्री सुगनचन्द जी का देहान्त अभी 7 वर्ष पहिले ही हुआ है। आपके दो विवाह हुये । प्रथम पत्नी का देहान्त संवत् 20013 में हो गया। इसके पश्चात् संवत् 20023 में शांति देवी से दूसरा विवाह हुआ। आपका एक मात्र पुत्र नवीनचन्द अध्ययन कर रहा है ।
पाटनी जी के काकीजी संभवमती जी आचार्य वर्धमानसागर जी के संघ में आर्यिका
हैं। आपने गुनिसुव्रतनाथ मंदिर मदनगंज में मूर्ति विराजमान करने एवं अपने गांव बस्सी
(नागौर) में आयुर्वेदिक एवं एलोपैथो डिस्पेन्सरी बनवाकर राजस्थान सरकार को भेंट करने का यशस्वी कार्य किया है।