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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /459
पाटोदी जी धार्मिक प्रकृति के भद्र परिणामी हैं। प्रतिदिन पूजापाठ भी संगीत के साथ तथा सबको साथ लेकर करते हैं। संवत् 20023 में आपने जैन यात्रा संघ निकाला था। स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था आपने एवं अन्य चार व्यक्तियों ने की थी। आप सूर्य सागर दि. जैन औषधालय के 25 वर्ष तक व्यवस्थापक रहे। जिनेन्द्र कला भारती के कोषाध्यक्ष हैं। दि. जैन समाज ट्रस्ट भीलवाड़ा के अध्यक्ष रह चुके हैं। चितौड़ किले पर स्थित मंदिर कमेटी के कोषाध्यक्ष हैं।
आपके तीन पुत्रों में सुकुमाल एवं नरेश पावर लूम फैक्ट्री का संचालन करते हैं। तीसरे पुत्र मुकेश पढ़ रहे हैं। पाटोदी जी उत्साही समाजसेवी हैं।
पत्ता : 4/71, माणिक्य नगर, भीलवाड़ा
श्री ताराचंद पाटोदी
निम्बाहेडा के वयोवृद्ध समाजसेवी श्री ताराचंद जी पाटोदी का संवत् 1971 में जन्म हुआ | आपके पिताजी श्री केशरीमल जी का स्वर्गवास मात्र 34 वर्ष की आयु में हो गया तथा माताजी का निधन सन् 1976 में 17 वर्ष की आयु में हुआ । संवत् 1987 में आपका विवाह श्रीमती रतनबाई से हो गया। जिनसे आपको चार पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके प्रथम एवं द्वितीय पुत्र श्री
श्रीमती रतन बाई पाटोदी
प्रकाशचंद एवं रमेशचंद बम्बई में फैक्ट्री संचालन करते हैं। तीसरे पुत्र सुरेशचंद फोटोग्राफी करते हैं तथा चतुर्थ एवं सबसे छोटे पुत्र कपड़े का व्यवसाय कर रहे हैं। आपकी तीनों पुत्रियां सज्जनबाई, सुशीलाबाई एवं शशिबाई का विवाह हो चुका है।
पाटोदी जी अत्यधिक धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति हैं। आपने आदिनाथ स्वामी की दो प्रतिष्ठित प्रतिमायें केली से लाकर भीलवाड़ा में विराजमान की हैं। आप आदिनाथ दि. जैन मंदिर निम्बाहेड़ा के अध्यक्ष हैं। दोनों ही पति पत्नी मुनि भक्त हैं। प्रतिदिन पूजा पाठ करते हैं। भजन, गीत, पूजन आदि लिखते रहते हैं। अब तक करीब 200 पदों की हिन्दी पद्य में रचना कर
ली है। लेकिन अभी अप्रकाशित है। श्री दुलीचंद पाटनी
युवा समाजसेवी श्री दुलीचंद भाटनी मूलतः डेह के हैं तथा वर्तमान में निम्बाहेडा में व्यवसायरत हैं । 8 अगस्त, 1937 को जन्में श्री पाटनी जो ने मैट्रिक किया। माणकचंद जैन परीक्षालय से विशारद किया और फिर व्यवसाय में चले गये। आपके पिताजी श्री फतेहचंद जी पाटनी का स्वर्गवास 18 जून, 1986 को हुआ। लेकिन माताजी की आत्मा 68 वर्ष की आयु में चल बसी । आपका विवाह ज्येष्ठ सुदी 9 संवत् 2001 में श्रीपती गिनिया देवी के साथ संपन्न 1 हुआ। जिनसे आपको तीन पुत्र एवं एक पुत्री की प्राप्ति हुई । ज्येष्ठ पुत्र जीवंधर कुमार बी.कॉम.