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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज (453
एक बहुत बड़ा शिलालेख मिलता है तथा दूसरे शिलालेख में उन्नत शिखर पुराण अंकित है जिसमें भगवान पार्श्वनाथ का जीवन लिपिबद्ध है। अभी कुछ वर्षों पूर्व कुंड के उत्तर भाग पर एक 51 फुट ऊंचा संगमरमर का शिखर निर्मित हुआ है । क्षेत्र पर विकास का कार्य चल रहा है।
बिजोलिया और उसके आसपास के गांवों में जैन समाज की स्थिति निम्न प्रकार है :
बिजोलिया
छोटी बिजोलिया
आरोली
सलाबटिया
चांदजीवी खेड़
बघेरवाल
40
12
8
खण्डेलवाल
40
2
यशस्वी समाज सेवी
1. श्री कालूराज जी अजमेरा
2. श्री कुन्तीलाल जी अजमेरा
4
मंदिर
3
1
1
अतिशय क्षेत्र
1
चित्तौड़
भीलवाड़ा
11
1
बिजोलिया के पास मन्दाकिनी का प्राचीन खंडहर जैन मंदिर है । जिसके मुख्य गेट पर जैन तीर्थकरों की पद्मासन मूर्तियां विराजमान हैं।
1
भीलवाड़ा जिले में शाहपुरा की पुरानी स्टेट है जो जैन पुरातत्व की दृष्टि से समृद्ध नगर हैं। यहां के मंदिर में 11 वीं शताब्दी से ही प्रतिमायें उपलब्ध होती हैं। यहां खण्डेलवाल श्रावकों के 40 से भी अधिक परिवार है उनमें श्री माणकचन्द जी गोधा का नाम विशेष उल्लेखनीय है ।
बागड़ प्रदेश एवं मेवाड़ प्रदेश
(भीलवाड़ा चित्तौड़, उदयपुर, डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा)