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434/ जैन समाज का बृहद् इतिहास
पहाड़िया भी में कुचामन एवं पांच
में बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। नागौरी मन्दिर की मुख्य वेदी में पार्श्वनाथ स्वामी की मूर्ति विराजमान करने का श्रेय प्राप्त किया। आप पूरे मुनिभक्त हैं। मुनि श्री विवेक सागर जी महाराज की आपने बहुत सेवा की थी। तीर्थो को आर्थिक सहयोग देते रहते हैं। भगवान महावीर 2500 वां निर्वाण महोत्सव के धर्मचक्र में तीन महिने तक रहे थे। समाज के प्रत्येक कार्य में सहयोग देने की भावना रहती है।
पता:- कुन्दनमल भंवरलाल जैन, वस्त्र व्यापारी, कुचामन सिटी (नागौर)
स्व. श्री भोमराज जी चूडीवाल
सन् 19000 में जन्मे श्री भोमराज चूडीवाल समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय व्यक्ति रहे। वे गदिया गोत्रीय खण्डेलवाल जैन जाति के श्रावक थे। चूडीवाल उनका उपगोत्र पड़ गया। इनका जीवनकाल सन् 1900 से सन् 1983 तक रहा। ये आदर्श एवं श्रेष्ठ कवि तथा हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के अच्छे विद्वान, इतिहास, साहित्य-दर्शन एवं धर्मशास्त्रों के अच्छे ज्ञाता, तथा सत्यनिष्ठ एवं आदर्श व्यवसायी थे। इनका संपूर्ण जीवन बहुत ही कर्मठ एवं प्रेरणाप्रद रहा । उन्होंने मात्र 21 वर्ष की अल्प आयु में आध्यात्मिक भजनों एवं गीतों को पुस्तक प्रकाशित करवा ली थी। इन्होंने बहुत सारे राष्ट्रीय गीत एवं गाने भी बनाये हैं। ये बहुत ही प्रतिभाशाली एवं आदर्श व्यक्ति थे।
आपके सुपुत्र श्री नेमीचंद चूडोवाल का जन्म पोष बुदी 13 संवत् 1991 में हुआ। आपने हिन्दी साहित्य में प्रभाकर 1951 और बी. ए. 1954 की परीक्षा पास की है। सन् 1954 में आपका विवाह श्रीमती चन्द्रकला के साथ संपन हुआ। आपको दो पुत्र महावीर प्रसाद एवं रमेश कुमार तथा दो पुत्रियों पुष्पा एवं सरिता के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। आप भी संगीत, साहित्य एवं इतिहास में विशेष रुचि रखते हैं ।
आपके दादाजी के सगे भाई चांदमल जी चूडीवाल वैराग्यमय जीवन व्यतीत करते थे। अंतिम समय में मुनि अवस्था में रहकर स्वर्गवासी हुए। वे गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध थे ।
पता- सरावगी मोहल्ला, लाडनूं ।
श्री मदनलाल काला
राणोली सोकर के श्री मदनलाल काला का जन्म श्रावण सुदी 3 संवत् 1983 में हुआ। सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आपने आसाम जाकर सर्विस की और वर्तमान में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आपका विवाह 44 वर्ष पूर्व श्रीमती सोहनी देवी के साथ संपन्न हुआ जिनसे आपको दो पुत्र ओमप्रकाश एवं दीपचंद तथा चार पुत्रियों सुरज्ञान, हीराबाई सुशीला एवं प्रफुल्ला के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। दो पुत्र एवं प्रथम तीन पुत्रियों का विवाह हो चुका है। श्री काला जी शांतिप्रिय व्यक्ति हैं तथा अपना जीवन पूर्ण सादगी के साथ व्यतीत कर रहे हैं।
पता:- मु. पो. राणोली (सीकर) राज.