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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /441
सन् 1964 में आपका विवाह हुआ। आपको दो पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । बड़े पुत्र विनोद का विवाह हो चुका है । सूरत में व्यवसाय है। शेष दोनों पुत्रियों एवं एक पुत्र पड़ रहे है ।
आपकी माताजी गुलाबदेवी बहुत धर्मात्मा एवं मुनिभक्त हैं । राणोली में आने वाले सभी मुनियों को आहार देती रहती हैं । स्वयं के शुद्ध खानपान का नियम है । लेखक की बड़ी बहिन हैं।
छोटा भाई ओमप्रकाश विवाहित है । बैंक सर्दिस में है। तीन पुत्रियां एवं एक पुत्र का पिता है ।
पता : मु.पो.राणोली (सीकर) राज, श्री सागरमल पांड्या
लाडनूं निवासी श्री सागरमल पांड्या का जन्म संवत् 1990 में हुआ। आपके पिताजी श्री नेमीचन्द जी पांड्या एवं माताजी श्रीमती धापादेवी दोनों क्रमश:89 एवं 87 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं । सन् 1952 में आपने मैट्रिक किया और जनरल मर्चेन्टस एण्ड क्रमोशन एजेन्ट का कार्य करने लगे। सन 1951 में आपका विवाह श्रीमतो चम्पादेवी के साथ हुआ। जिनसे आपको दो पुत्र सुनील एवं प्रमोद तथा एक पुत्री सरिता की प्राप्ति हुई। सुनील बी.ए, एल.एल.बी है । विवाह हो चुका है । पत्नी का नाम सुमन हैं । पुत्र अंकित है । जैन युवा संगठन कलकत्ता का कोषाध्यक्ष है।
____ पांड्या जी ने सुजानगढ पंचकल्याणक में भूटान नरेश का नाम रखवाया । जसरासर के मंदिर के जीणोद्धार में योगदान दिया।
आप सब भाई हैं। आपका नम्बर तीसरा है 1 आपके अतिरिक्त सर्व श्री नथमल जी (गोहाटी),मांगीलाल जी (गोहाटी), पुखराज जी (गोहाटी).सम्पतलाल जी (गोहाटी),एवं महावीर प्रसाद लाडनूं में कार्यरत हैं। पता: (1) सागरमल पांड्या लाडनूं (नागौर)
(2) नेमिचंद नथमल पांड्या,राजरोड़ कलकत्ता 234,8/2 महर्षि देवेन्द्र रोड़,बड़ा बाजार, बडा मंदिर,कलकत्ता । श्री सूरजमल छाबड़ा
कुचामन के वयोवद्ध समाजसेवी श्री सूरजमल छाबड़ा का जन्म श्रावण सुदी ) संवत् 1967 को हुआ। आपके पिताजी श्री मांगीलाल जी छाबड़ा का स्वर्गवास हुए करीब 35 वर्ष हो गये । माताजी केशरवाई का आशीर्वाद अभी प्राप्त है । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आपका विवाह करीब 72 वर्ष पूर्व श्रीमती इचरज देवी के साथ हो गया जिनकी आयु भी वर्तमान में 80 वर्ष की होगी। आपको चार पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
कुचामन की अजमेरी नशियां में तीन बार वेदो प्रतिष्ठायें संपन्न कराई तथा भगवान पार्श्वनाथ की बड़ी प्रतिमा कुचामन पंचकल्याणक में प्रतिष्ठित करवाकर विराजमान की थी। भावनगर दि. जैन मंदिर में एक प्रतिमा विराजमान की । आप कष्टर युनिभक्त हैं । मुनियों को आहार देने में आगे रहते हैं ! दानशील प्रवृत्ति के हैं तथा सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं।
1. आपके चार पुद्रों में राजमल जी का जन्म 31 दिसम्बर सन् 1937 को हुआ । राज. विश्वविद्यालय से बी.कॉम., एल.एल बी.तक शिक्षा प्राप्त की। आपका विवाह 4 मार्च 67 को श्रीमती सरोजदेवी के साथ हुआ। आपका देहली एवं फूलेरा