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श्री दीपचन्द बख्शी
जागीरदारों के परिवार में दिनांक 24 अगस्त, 1920 को जन्मे श्री दीपचन्द जी बख्शी को सरकार का बफादार होना चाहिये था लेकिन बख्शी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई में कूदने को अधिक श्रेयस्कर समझा और आठ वर्ष की आयु से ही राजनीति
में सक्रिय कार्य करने लगे और मित्र मंडल, प्रेममंडल जैसी
जयपुर नगर का जैन समाज /249
संस्थाओं के सदस्य बन गये। जयपुर में प्रजा का सुविधिसागर जी महारा
आंदोलन में अपने सक्रिय योगदान के अतिरिक्त आंदोलनकारियों की आर्थिक सहायता भी करने लगे। तत्कालीन राजनीति के प्रमुख जमनालाल बजाज हीरालाल शास्त्री, कपूरचन्द पाटनी, बाबा हरिचन्द्र एवं हरीभाऊ उपाध्याय के विश्वस्त सहयोगी बन गये। सन् 1937, 38, 40 एवं 42 में जेल यात्रायें करके स्वतंत्रता सेनानियों में अपना प्रमुख स्थान बना लिया। आपने विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के आंदोलन में भी भाग लिया।
श्री दीपचन्द बख़्शी धर्मपत्नी स्नेहलता के साथ
सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् सन् 1940 में आपका विवाह श्री लालचन्द कासलीवाल बूंदी की पुत्री श्रीमती स्नेहलता से हुआ | आपको 4 पुत्रों एवं चार पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके पिताजी श्री चिरंजीलाल के पूर्वज महाराजा प्रतापसिंह जी के शासन काल में मोजमाबाद (जयपुर) में आये । आपके पूर्वजों की परम्परा में लालचन्द नेमिचन्द - सुवालाल- उदयलाल - चिरंजीलाल नाम उल्लेखनीय हैं। वर्तमान में आपका केमिकल्स एवं रंगों का व्यवसाय है। बख्शी जी बहुत शांत एवं सरल परिणामी व्यक्ति हैं। संध्या पूर्व ही अपनी दुकान से घर चले जाते हैं। प्रतिदिन अभिषेक एवं पूजा करने का नियम है। आपके घर में ही चैत्यालय है जो श्री नेमिचन्द जी बख्शी ने बनवाया था।
पता :- बख्शी भवन, आंकड़ों का रास्ता, किशनपोल बाजार, जयपुर ।
श्री देवीनारायण टकसाली
गोयल गोत्रीय श्री देवीनारायण टकसाली अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति के श्रावक हैं। आपका जन्म सावन बुदी 6 सं. 1978 को हुआ। आपके पिताश्री राधाकिशन जी का स्वर्गवास 2 नवम्बर 1955 को हुआ। आपकी माताजी 88 वर्षीय हैं जिनका आशीर्वाद आपको प्राप्त है। आप की माताजी प्रतिमाधारी हैं। आपने आचार्य शांतिसागर जी महाराज को आहार दिया था तभी से आपका पूरा परिवार धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत हैं । देवीनारायण जी का सन् 1936 में श्रीमती सज्जनदेवी के साथ विवाह हुआ | आपके शुद्ध खानपान का नियम है तथा मुनियों को आहार देने में रुचि रखती हैं ।
आपके तीन पुत्र ओमप्रकाश (48 वर्ष) ईश्वरलाल (44 वर्ष) एवं कुंजबिहारी (35 वर्ष) हैं सभी पुत्रों का विवाह हो चुका हैं। पांच पुत्रियां हैं लल्ली बाई, पदमाबाई, सविता, बीना एवं रेखा बाई भी विवाहित हैं तथा धार्मिक संस्कारों से युक्त हैं। पदमाबाई अमेरिका में रहती हैं।