________________
राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /349
श्री पूर्णचन्दन दङ्गवाया एडयावर
___ ढूंढार प्रदेश के प्राचीन नगर बसवा में दिनांक 24 अक्टूबर 1923 को जन्में मृदुल एवं स्नेहिल व्यवहार के धनी श्री पूर्णचन्द जैन की वर्तमान में राजस्थान के प्रसिद्ध वकीलों में गणना होने लगी है। आपके पिता जी श्री आनन्दीलाल जी का सन् 1952 में निधन हो गया, इनके चार वर्ष पश्चात् आपकी माताजी श्रीमती दाखा देवी चल बसी । श्री आनन्दीलाल जी के तीन पुत्र सर्व श्री हजारीलाल जी, फूलचन्द जी एवम् श्री पूर्णचन्द हुए। सबसे छोटे पुत्र आप हैं ।
श्री जैन ने सन् 1945 में बी.कॉम, और सन् 1947 में आगरा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की परीक्षा पास की और इसके पश्चात् आप वकालत करने लगे। आपने अपनी सूझ-बूझ कानूनी शान एवम् गौरवशाली व्यक्तित्व के कारण इस क्षेत्र में सहज ही प्रसिद्धि प्राप्त करली । सन् 1949 में आप बसवा से दौसा आ गये वैसे आप प्रारम्भ से ही राजनीति एवम् सामाजिक कार्यों में आगे बढ़ते गये । सन् 1948 में सर्वप्रथम बसवा म्यूनिसिपेलटी के सदस्य चुने गये तथा सन् 1948-49 में गवर्नमेंट सप्लाई कमेटी के अध्यक्ष बनाये गये । दौसा बार एसोसियेशन के तीन बार अध्यक्ष रहे । वर्तमान में आप राजस्थान के लीडिंग फौजदारी वकीलों में माने जाते हैं। हाई-कोर्ट बार एसोसियेशन के सदस्य हैं तथा आरएस.एस. दौसा के संघ चालक हैं ।
विगत सात वर्षों से आप अपनी धार्मिक वृत्ति के कारण दि. जैन अ. क्षेत्र पदमपुरा कमेटी के अध्यक्ष हैं तथा दौसा की और भी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं । मुनियों की सेवा करने में गहरी रुचि लेते हैं।
सन् 1944 में आपका विवाह जयपुर के प्रसिद्ध वकील कपूरचन्द जी संघी की पुत्री श्रीमती सुनन्दा के साथ हुआ जिनसे आपको एक पुत्र एवम् चार पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपका सुपुत्र सुधीर कुमार भी बी.कॉम, एल.एल.बी. है । उनकी शादी श्रीमती इन्दिरा जैन एम.ए. से हुई है । श्री सुधीर कुमार वकालत करते हैं । चारों पुत्रियों सुमन,ऊया, मृदुला एवम् पूर्णिमा सभी उच्च शिक्षत है तथा विवाह हो चुका है | आपके दो पौत्र कुमार अभिषेक, अभिनव तथा एक पौत्री सुश्री सोनल है । आपकी धर्मपली का अभी कुछ ही समय पूर्व दुःखद निधन हो गया ।
श्री पूर्णचन्द जी अपने आप में एक अत्यन्त प्रभावशाली व्यक्ति हैं तथा समाज सेवा की ओर विशेष ध्यान देते हैं।
पता : जैन मौहल्ला दौसा (राज) श्री प्रभातीलाल कासलीवाल
श्री प्रभातीलाल जी कासलीवाल बस्सी तहसील में प्रभावशाली व्यक्ति हैं। तहसील राजनीति में उनकी अच्छी पहुंच है । अपने माप दणाउ कला की ग्राम पंचायत के वे 21-22 वर्ष तक सरपंच रहे तथा बस्सी पंचायत समिति के सन् 1968 से 1981 तक प्रधान रहे । इसके पूर्व वे सन् 1965 से 68 तक तहसील पंचायत समिति के उप-प्रधान रहे। कांग्रेस (आई) के तहसील कमेटी के अध्यक्ष एवं जिला कमेटी के सदस्य रह चुके हैं।
राजनीति के अतिरिक्त सामाजिक कार्यों में भी उनकी गहरी पहुंच है। वे दि. जैन अ. क्षेत्र पदमपुरा की कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं । पदमपुरा पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर राज दरबार में वे राजा के पद को सुशोभित कर चुके हैं।