________________
370/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
श्री भंवरलाल दोशी
टौंक निवासी श्री भंवरलाल दोशी का संवत् 1968 में जन्म हुआ । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् वस्त्र व्यवसाय करने लगे। आपके पिता श्री कंवरीलाल जी एवं माता पाना बाई का बहुत पहिले स्वर्गवास हुआ था। संवत् 1987 में आपका विवाह मोतिया वाई से हुआ था जिनका 7 वर्ष पूर्व निधन हो गया । आप चार पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता हैं । आपके प्रथम तीन पुत्र श्री टीकमचंद, श्री रतनलाल एवं श्री राजमल बी.ए. बी.एड, हैं तथा अध्यापक हैं । चतुर्थ पुत्र श्री बसन्तीलाल एम.एससी., पीएचड़ी. हैं तथा भूसंरक्षण अधिकारी हैं ।
श्री दोशी जी सोनियों के मंदिर के पंच थे। आप डाहहा तुर्की माम के मंदिर के मुखिया रहे थे तथा एक कुई बनवाकर मंदिर के लिये एवं गांव के लिये पानी की व्यवस्था की थी। तीर्थ यात्रा प्रेमी है। एक बार सभी तीर्थों की वंदना कर चुके हैं । आपके बड़े पिताजी श्री गौरीलाल जी ब्रह्मचारी त्यागी थे।
पता: भंवरलाल टीकमचंद जैन दोशी,माणक चौक, टौंक (राज)
पं.भैरवलाल सेठी
वीर पुस्तक भंडार श्री महावीर जी के प्रोप्राइटर पं. भैरवलाल सेठी का जन्म 29 दिसम्बर सन् 1914 को हुआ। सन् 1935 में आपने कलकत्ता से न्यायतीर्थ की परीक्षा पास की। पं. चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ के आप शिष्य रहे हैं। इसी वर्ष आपका विवाह श्रीमती राजकुमारी से हो गया लेकिन 1953 में 40 वर्ष की आयु में ही उनका देहान्त हो गया । आपको एक पुत्र एवं एक पुत्री के पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेकिन दुर्भाग्य से 4 जुलाई सन् 1984 को एक मात्र पुत्र का पी देहान्त हो गया। आपके 2 पौत्र हैं दोनों ही पढ़ रहे हैं।
सेठीजी उत्साही समाजसेवी हैं । सन् 1955 से 1976 तक ग्राम पंचायत श्री महावीर जी के उपसरपंच रह चुके हैं। मुनिभक्त है। आचार्य सूर्यसागर जी एवं आचार्य विद्यानन्द जी महाराज के अधिक निकट रहे हैं । दि.जैन पंचायत श्री महावीर जी के संस्थापक अध्यक्ष,आदर्श महिला विद्यालय श्री महावीरजी की कार्यकारिणी के सदस्य हैं। आपने अपना जीवन अध्यापक की लाइन से प्रारंभ किया और फिर पुस्तक विक्रय करने लगे। आपने नवीन महावीर कीर्तन का संपादन किया है जिसका 12 वां संस्करण छप गया है।
सेठी जी सीधे-सादे एवं सरल स्वभावी हैं । झगडों से दूर रहते हैं। श्री महावीर क्षेत्र के विशिष्ट महानुभाव हैं। पता : वीर पुस्तक भंडार,श्री महावीरजी