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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज/415
मेड़ता तहसील:
मेड़ता तहसील में मेड़ता सिटी में 35 घर एवं 2 मंदिर मेडता टोड में 10 घर एवं 1 मंदिर रेण में 8 घर एवं एक मंदिर तथा तहसील के शेष गांवों में छुटपुट परिवार रहते हैं। णली जिला:
पाली जिले के जैतारण तहसील में आनन्दपुरकाल में खण्डेलवालों के 30 घर हैं तथा तीन मंदिर हैं । वहां श्री कंवरीलाल जी बोहरा अत्यधिक प्रतिष्ठित श्रेष्ठी है । इसके अतिरिक्त पाली में 40 घर, नीमाज में 15 घर तथा वलंदा में 15 घर हैं। सभी में एक-एक मंदिर हैं। झंझुनूं जिला :
झुझुनूं जिले में वर्तमान में वेरी में 40 घर, वनगोठडी में 20 घर तथा छापडा में भी 20 घर हैं तथा सभी घर खण्डेलवाल जैन समाज के हैं । इन तीनों के अधिकांश परिवार डीमापुर (नागालैण्ड) एवं गोहाटी (आसाम) चले गये हैं। चूरू जिला :
चूरू जिले में किराडा ग्राम में 25 परिवार रहते हैं। सभी खण्डेलवाल जाति के है । सुजानगड :
सुजानगढ नगर में जनों को अच्छौ बस्ता है । यद्यपि यहां के आंधकांश परिवार आसाम, नागालैण्ड एवं कलकत्ता जैसे नगरों में स्थानान्तरित हो गये हैं फिर भी वर्तमान में यहाँ 225 परिवार खण्डेलवाल समाज के एवं 7 परिवार अग्रवाल जैन समाज के हैं। यहां के निवासी धार्मिक जीवन व्यतीत करते हैं। साधुओं की सेवा में समर्पित रहते हैं । आचार्य धर्मसागर जी ने यहां चातुर्मास किया था । सुजानगढ़ में भंवरीलाल जी बाकलीवाल हुये थे जो महासभा के अध्यक्ष थे। जैन रत्न श्री हरकचन्द जी पांड्या सरावगी यहीं के निवासी हैं जो वर्तमान में कलकत्ता रहते हैं। यहां के समाजसेवी श्री मांगीलाल जी सेठी का अभी कुछ ही समय पूर्व स्वर्गवास हुआ है। सुजानगढ़ में 5-6 वर्ष पूर्व ही एक विशाल पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ था। उस समय भारतवर्षीय दि. जैन महासभा एवं शास्त्री परिषद् के अधिवेशन सम्पत्र हुये थे । श्री नेमीचन्द बाकलीवाल यहां के वयोवृद्ध समाज सेवी हैं। लाडनू :
नागौर जिले में लाडनूं शहर दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख केन्द्र है। यह नगर आचार्य तुलसी जी के अनुयायियों तेरहपंथी समाज का भी प्रमुख केन्द्र है। जैन विश्वभारती जैसी संस्था यहीं पर स्थित है जिसको विश्वविद्यालय स्तर की मान्यता प्राप्त हैं । सन् 1974-75 में स्थापित जैन विश्व भारती एक विशाल संस्थान है जहां शिक्षण कार्य के अतिरिक्त आचार्य श्री तुलसीगणि जी के अन्य कार्यक्रम चलते रहते हैं।
दिगम्बर समाज में यद्यपि खण्डेलवाल जैन समाज का बाहुल्य है फिर भी अग्रवाल जैन समाज भी अच्छी संख्या में है। स्व क्षुल्लक सिद्धसागर जी महाराज लाडनूं के ही थे। यहां का गंगवाल परिवार अपनी सामाजिक सेवाओं के लिये प्रसिद्ध रहा है। स्व. तोलाराम जी गंगवाल, बच्छराज जी गंगवाल एवं गजराज जी मंगवाल